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एक गमले में खिलाए 122 गुलाब, लिम्का बुक में नाम दर्ज

नून सवार होने पर इंसान कोई भी आसाधारण कार्य कर सकता है जिसका एक जीता-जागता उदाहरण नयी दिल्ली की एक महिला ने पेश किया

एक गमले में खिलाए 122 गुलाब, लिम्का बुक में नाम दर्ज
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नयी दिल्ली। जुनून सवार होने पर इंसान कोई भी आसाधारण कार्य कर सकता है जिसका एक जीता-जागता उदाहरण नयी दिल्ली की एक महिला ने पेश किया, जिन्होंने एक सीमेंट के एक छोटे से गमले में 122 गुलाब के फूल खिलाने जैसा असंभव लगने वाला काम करके लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा लिया।

सीमेंट के एक छोटे से गमले में एक ही पौधे में 122 गुलाब के फूल खिलाने जैसे असाधारण काम पश्चिम दिल्ली के कुतुब विहार निवासी मीना उपाध्याय ने संभव कर दिखाया। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।

गिनीज वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के भारतीय संस्करण लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में कहा गया, “नयी दिल्ली निवासी श्रीमती उपाध्याय ने अप्रैल 2018 में रिकॉर्ड संख्या में गुलाब के फूल खिलाये थे। उन्होंने सीमेंट के एक छोटे गमले में 14 इंच के एक पौधे पर 122 गुलाब के फूल खिलाकर रिकॉर्ड कायम किया है।

पेशे से गृहिणी श्रीमती उपाध्याय ने बागवानी की शुरुआत पांच पौधों से की थी जिनकी संख्या अब 90 पार कर चुकी है।

उन्होंने ‘यूनीवार्ता’ से एक साक्षात्कार में कहा कि यह पता चलने पर कि एक गमले में 20 से अधिक फूल खिलाना असामान्य बात है तब उन्हें इस काम को कर दिखाने का प्रोत्सहान मिला और फिर यह उनका जुनून बन गया।

इन सैकड़ों फूलों को एक ही गमले में खिलाना आसान नहीं था, इसके लिए उन्हें अपने रोज के कामों से समय निकालकर काम करना होता था। उन्हें इस काम के लिए हर रोज सुबह के कम से कम दो घंटे और शाम के दो घंटे देने पड़ते थे। उनका मानना है कि व्यस्त होने जैसी कोई बात नहीं होती, यह केवल प्राथमिकता की बात होती है।

श्रीमती उपाध्याय ने कहा,“हम सबके पास पूरा एक दिन होता है और कुछ लोग इसका पूरा उपयोग करते हैं जबकि कुछ लोग नहीं करते। आप जिस काम से प्यार करते हैं उसके लिए समय निकाला महत्वपूर्ण बात है।”

श्रीमती उपाध्याय के पति नरेंद्र उपाध्याय ने उनकी इस उपलब्धि पर खुश होते हुये कहा,“केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के बागवानी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एस. एस. सिंधू की सहायता के बिना मीना के इस मेहनत पर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की टीम का नजर जाना आसान नहीं होता।”

श्रीमती उपाध्याय की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। उनकी यह सफलता लोगों को छोटा सा ही सही लेकिन अपना एक बागान बनाने के लिए प्रेरित करेगी।

श्रीमती उपाध्याय ने कहा, “दिल्ली पहले से ही गंभीर प्रदूषण की चपेट में है जिससे वायु की गुणवत्ता बुरी तरह से प्रभावित हुई है। सरकार प्रदूषण कम करने का पूरा प्रयास कर रही है और एक नागरिक होने के नाते हमें भी इस समस्या से निपटने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने चाहिए।”


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