मप्र में लौटे 12 लाख मजदूर : कमल नाथ
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा है कि वर्षो पहले रोजगार की तलाश में पलायन कर गए मजदूरों की वापसी के जो आंकड़े आ रहे हैं

भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा है कि वर्षो पहले रोजगार की तलाश में पलायन कर गए मजदूरों की वापसी के जो आंकड़े आ रहे हैं, वे चौंकाने वाले हैं। अब तक 11 लाख 78 हजार मजदूरों की वापसी हो चुकी है, वहीं और लगभग दो लाख मजदूरों की वापसी की संभावना है। पूर्व मुख्यमंत्री ने मंगलवार को कहा, "जिस प्रकार से कोरोना महामारी के इस संकट काल में मध्यप्रदेश से पिछले वर्षो में पलायन कर अन्य प्रदेशों में रोजगार को लेकर गए प्रवासी मजदूरों के प्रदेश लौटने के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे बेहद चौंकने वाले हैं। अभी तक 11 लाख 78 हजार मजदूरों के प्रदेश लौटने की बात की जा रही है और करीब दो लाख मजदूरों के और लौटने की बात सामने आ रही है।"
कमल नाथ ने मजदूरों की संख्या को लेकर कहा, "इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों के प्रदेश से पलायन के पीछे पूर्व की 15 वर्ष की शिवराज सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियां ही दोषी हैं, जिसने इन मजदूरों को प्रदेश में रोजगार उपलब्ध नहीं कराया, जिससे रोजगार की तलाश में इन्हें अपने परिवारों के साथ प्रदेश से पलायन करना पड़ा। आज भी ये मजदूर भाई जब अपने परिवारों के साथ वापस अपने प्रदेश लौट रहे हैं तो उन्हें काफी संकटों का सामना करना पड़ रहा है।
अपने घरों के लौट रहे मजदूरों के दर्द का जिक्र करते हुए कमल नाथ ने कहा, "भूखे-प्यासे, नंगे पैर, पैदल चलकर, साइकिल से, भीषण गर्मी में, पैरों में छाले लिए हजारों किलोमीटर का सफर कर प्रदेश लौट रहे इन मजदूरों की वापसी के लिए शिवराज सरकार ने कोई प्रबंध नहीं किया, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वे दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं, उनकी अकाल मृत्यु तक हो रही है, इसकी दोषी भी वर्तमान शिवराज सरकार ही है।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने लौटे मजदूरों को आर्थिक मदद की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश वापसी कर चुके इन लाखों मजदूरों के लिए कोरोना के इस लॉकडाउन में रोजगार के अभाव में सरकार इन्हें तत्काल राहत पैकेज दे, इनके परिवारों के लिए खाने-पीने का प्रबंध कर इन्हें निशुल्क राशन उपलब्ध कराया जाए व अब भविष्य में इनका प्रदेश से पलायन रोकने के लिए इनके रोजगार की व बसाहट की प्रदेश में ही व्यवस्था की जाए, जिससे भविष्य में इनके श्रम का उपयोग प्रदेश हित व प्रदेश निर्माण में हो सके।


