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गुजरात के गिर वन में आठ दिन में  11 शेरों की मौत

 दुनिया में एशियाई शेरों की एकमात्र शरणस्थली माने जानेवाले गुजरात के गिर वन के भीतर दो आसपास के हिस्सों में आठ दिनों में 11 शेरों की मौत से मची

गुजरात के गिर वन में आठ दिन में  11 शेरों की मौत
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गांधीनगर । दुनिया में एशियाई शेरों की एकमात्र शरणस्थली माने जानेवाले गुजरात के गिर वन के भीतर दो आसपास के हिस्सों में आठ दिनों में 11 शेरों की मौत से मची अफरातफरी के बीच राज्य में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) तथा वन बल के प्रमुख जी के सिन्हा ने आज कहा कि इनमें से कोई भी मौत विषाणु अथवा वायरस के चलते नहीं हुई है और अधिकतर मौतें शेरों के बीच होने वाली वर्चस्व की आपसी लड़ाई का नतीजा हैं।

सिन्हा ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 9 शेर गिर वन के पूर्व विस्तार के दलखाणिया रेंज में तथा दो निकटवर्ती जसाधार रेंज में मृत पाये गये। ये सभी मौतें 12 से 19 सितंबर के बीच यानी आठ दिन में हुई हैं। इनमें से छह एक साल से कम उम्र के शावक तथा पांच व्यस्क शेर थे जिनमें तीन मादा थीं। जिन क्षेत्रों से शव मिले हैं उन इलाकों में बाहरी शेरों के आने का सिलसिला चल रहा था। ऐसे में अपने क्षेत्र और समूह पर आधिपत्य रखने वाले शेरों के बीच वर्चस्व की लडाई अथवा इनफाइट के चलते इनमें से अधिकतर मौतें हुई हैं। इस इलाके के पुराने सभी व्यस्क शेरों पर नजर रखने के लिए उनमें कॉलर आईडी उपकरण लगाया गया था, मृत पाये गये पांच व्यस्क में से तीन शेरों के पास यह उपकरण नहीं है। साथ ही मृत पाये गये शेरों की आंत में भोजन के कण भी नहीं है। ये दोनो बाते पूरी तरह यह भी बाहरी और स्थानीय शेरों के बीच लड़ाई के मजबूत संकेत हैं। ऐसी लड़ाई में शावक तो आम तौर पर मारे जाते हैं पर हारने वाले व्यस्क शेर सुनसान इलाकों में भाग जाते हैं और भूख से मर जाते हैं जिससे उनकी आंत में खाने के कण नहीं मिलते।

उन्होंने बताया कि एक शेर की औसत आयु 14 से 15 साल होती है। गिर वन में 2015 में हुई पिछली पांच वर्षीय सिंह गणना में उनकी संख्या 523 थीं जो उससे पहले की ऐसी गणना की तुलना में करीब 27 प्रतिशत अधिक थी। इस तरह हर साल लगभग पांच प्रतिशत की वृद्धि दर शेर जैसे जानवर के लिए बहुत अच्छी है। हर साल गिर में करीब 210 शावक जन्म लेते हैं इनमें से आम तौर पर 25 से 30 प्रतिशत यानी 60 से 70 ही बच पाते हैं कि करीब 70 प्रतिशत यानी 140 का प्राकृतिक कारणों से मौत हो जाना सामान्य बात है।

एक प्रश्न के उत्तर में श्री सिन्हा ने बताया कि पूर्व में शेरों की मौत को लेकर गुजरात हाई कोर्ट की ओर से तलब किये जाने पर वन विभाग ने अपना जवाब अदालत में दे दिया है। यह मामला अब भी विचाराधीन है।

ज्ञातव्य है कि इससे पहले आज भरूच में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने 11 शेरो की मौत की घटना के बारे में कहा था कि अगर इसमें किसी की लापरवाही सामने आती है तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि शेर गुजराव के गौरव हैं और सरकार पूरे मामले को गंभीरता से ले रही है। सरकार यह देखेगी कि ये मौतें स्वाभाविक हैं अथवा अस्वाभाविक तथा भविष्य में इनकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कदम उठायेगी।

राज्य के वन मंत्री गणपत वसावा ने भी इससे पहले कहा था कि मौतें शिकार अथवा जहर दिये जाने जैसी वजहों से नहीं हैं। इनमें से अधिकतर वर्चस्व की लड़ाई के चलते हुई हैं जो एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।


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