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देशबंधु चित्तरंजन दास की 100वीं पुण्य तिथि, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने किया याद

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक चमकते सितारे देशबंधु चित्तरंजन दास को उनकी 100वीं पुण्य तिथि पर याद किया

देशबंधु चित्तरंजन दास की 100वीं पुण्य तिथि, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने किया याद
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नई दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक चमकते सितारे देशबंधु चित्तरंजन दास को उनकी 100वीं पुण्य तिथि पर याद किया।

खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “हम कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष देशबंधु चित्तरंजन दास की चिरस्थायी विरासत को याद करते हैं, जो एक प्रतिष्ठित वकील और एक निपुण कवि थे। औपनिवेशिक शासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गुरु, वे भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अहिंसक और संवैधानिक तरीकों में दृढ़ विश्वास रखते थे। वे हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सद्भाव के भी प्रबल समर्थक थे और उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा और खादी के प्रचार का जोरदार समर्थन किया।“

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने उन्हें राष्ट्रप्रेम की जीवंत पहचान बताया। बोले, “महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, स्वराज पार्टी के संस्थापक एवं प्रखर राष्ट्रवादी नेता चित्तरंजन दास ‘देशबंधु’ की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! 'देशबंधु' की उपाधि उनके त्याग, मां भारती की सेवा व राष्ट्रप्रेम की जीवंत पहचान थी। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को वैचारिक दिशा दी तथा स्वराज की राह में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।“

भाजपा सांसद रवि किशन ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति आम जनमानस में राष्ट्रीय चेतना का संचार करने वाले महान राष्ट्रवादी राजनेता, प्रसिद्ध विधि-शास्त्री व राजनीतिज्ञ, स्वराज पार्टी के संस्थापक चित्तरंजन दास "देशबंधु" की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।“

बिहार कांग्रेस ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “हम देशबंधु चित्तरंजन दास को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, वे महान स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष थे। बंगाल की राजनीतिक जागृति के प्रणेता रहे देशबंधु ने अपनी समृद्ध वकालत छोड़कर असहयोग आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की। आज हम उनके त्याग, समर्पण और राष्ट्रहित में दिए गए योगदान को कृतज्ञता के साथ स्मरण करते हैं।“

5 नवंबर 1870 को कोलकाता के एक समृद्ध बंगाली परिवार में जन्मे चित्तरंजन दास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक चमकते सितारे थे। उनके पिता भूबन मोहन दास एक प्रसिद्ध वकील और पत्रकार थे, जबकि चाचा दुर्गा मोहन दास ब्रह्म समाज के समाज सुधारक थे। इस परिवार की प्रगतिशील सोच ने चित्तरंजन के जीवन को दिशा दी। आजादी की लड़ाई में उनका योगदान और स्वराज पार्टी की स्थापना उन्हें इतिहास में अमर बनाती है।


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