सौ वर्ष पुराने प्राथमिक शाला भवन का जीर्णोद्धार
घरघोड़ा नगर के वर्षो से जर्जर हो चुके प्रथमिक बालक शाला का विद्यालय का जीर्णोद्धार नप उपाध्यछ कविता शर्मा के प्रयास से किया गया वही समाज और शिक्षा को एक दूसरे का पर्याय कहा जाता है
रायगढ़। घरघोड़ा नगर के वर्षो से जर्जर हो चुके प्रथमिक बालक शाला का विद्यालय का जीर्णोद्धार नप उपाध्यछ कविता शर्मा के प्रयास से किया गया वही समाज और शिक्षा को एक दूसरे का पर्याय कहा जाता है। एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए बेहतर शिक्षा का होना नितांत आवश्यक तथ्य है ।
समाज को शिक्षा से जोड़कर शासकीय शालाओ को बेहतर बनाने गुणवत्ता अभियान के तहत मिली जिम्मेदारी का निर्वहन से हटकर करते हुए घरघोड़ा नप उपाध्यक्ष कविता शर्मा ने घरघोड़ा के सबसे पुराने शासकीय प्राथमिक स्कूल की दिशा और दशा बदलने जो धरातल पर प्रयास किया वह आज बाकी लोगो के लिए एक उदाहरण बन गया है ।1914 में स्थापित बालक शासकीय प्राथमिक शाला घरघोड़ा के लिए किसी ऐतिहासिक धरोहर से कम नही क्योंकि इसी स्कूल से शहर की कई पीढ़ियों ने शिक्षा प्राप्त की और आज विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर सेवा दे रहे है साथ बहुधा लोगो की भावनाएं व यादें इस स्कूल से जुडी हुई हैं।
पर पिछले कुछ समय से देख रेख के अभाव में 1914 का यह स्कूल जो 100 वर्ष की अवधि पार कर चुका है अपने अस्तित्व तलाशता हुआ सा खंडहर में तब्दील होता जा रहा था ।इस शाला की आंगन ने इस नगर से लेके प्रदेश तक नाम देने वाले प्रतिभावान छात्र छात्राओं को शिक्षा देने वाला यह शाला का ऐतिहासिक भवन जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गया था ,नप उपाध्यक्ष श्रीमती कविता शर्मा को जब स्वर्गीय अब्दुल कलाम गुणवत्ता अभियान के तहत इस स्कूल की जिम्मेदारी दी गयी तो उन्होंने इस भवन के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया और स्वयं के प्रयासों से भवन को इस तरह सँवारा की आज यह धरोहर रूपी शाला भवन पुन: शिक्षा का प्रकाश फ़ैलाने बाहें फैलाये नये कलेवर में खड़ा है ।
स्वयं के व्यय से उठा रही जिम्मेदारी
समाज सेवा एवं शिक्षा के बेहतरी के लिए लंबे समय से कार्य कर रही श्रीमती कविता शर्मा सेवा कार्यो में किये जा रहे खर्च का वहन स्वयं करती हैं । श्रीमती शर्मा नप उपाध्यक्ष पद के मानदेय एवं अपने द्वारा चलायी जा रही ट्यूशन क्लासेस से मिलने वाली फ़ीस का उपयोग ऐसे कार्यो में ब्यय करती हैं । बा.प्रा.शाळा भवन के जीर्णोद्धार, निर्धन बच्चों को गोद लेकर उनकी शिक्षा दीक्षा,प्राथमिक शाला के बच्चो को निशुल्क शिक्षण समाग्री वितरण जैसे कार्यों में खर्च होने वाली राशि के लिए कविता शर्मा अपने मानदेय व ट्यूशन क्लासेस से प्राप्त फ़ीस की रकम का उपयोग नि:स्वार्थ भाव से करती है जो वाकई में उनकी सेवा भावना को प्रदर्शित करता है ।
नगर के शिक्षाविद व प्रबुद्धजनों ने उनके कार्यो की प्रशंसा करते हुए कहा कि समाज को ऐसे लोगों की ही आवश्यकता है जो नि:स्वार्थ सेवा से समाज को बेहतर दिशा देने कार्य करते हैं ।


