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मप्र में अब 100 यूनिट बिजली खर्चने पर 100 रुपये का बिल

मध्य प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को प्रथम 100 यूनिट तक की खपत पर अधिकतम 100 रुपये का बिल देना होगा

मप्र में अब 100 यूनिट बिजली खर्चने पर 100 रुपये का बिल
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भोपाल। मध्य प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को प्रथम 100 यूनिट तक की खपत पर अधिकतम 100 रुपये का बिल देना होगा। इसके बाद अतिरिक्त 50 यूनिट की खपत पर विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दर के अनुसार भुगतान करना होगा। इस तरह इस योजना का लाभ 150 यूनिट की खपत तक मिलेगा। यह निर्णय सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया। सरकार की तरफ से जारी बयान के अनुसार, हितग्राही उपभोक्ताओं द्वारा किसी माह में 100 यूनिट से अधिक, लेकिन पात्रता यूनिट तक उपयोग की गई खपत पर प्रथम 100 यूनिट के लिए देय 100 रुपये होगा। इसमें मीटर किराया तथा विद्युत शुल्क भी शामिल होगा। कुल 100 यूनिट तक 100 रुपये तथा इससे अधिक यूनिट के लिए मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश में निर्धारित दर के अनुसार बिल देय होगा। यह सुविधा 150 यूनिट तक की खपत पर लागू होगी।

राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार, किसी माह में 150 यूनिट अथवा आनुपातिक पात्रता यूनिट से अधिक की खपत होने पर उपभोक्ता को उस माह में योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। लिहाजा उपभोक्ता को पूरी खपत पर आयोग द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार राशि का भुगतान करना होगा।

बयान के अनुसार, इस योजना से लगभग एक करोड़ दो लाख घरेलू उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा।

बयान के अनुसार, मंत्रिपरिषद ने मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियमन 1972 के कुछ प्रावधानों के वर्तमान परिवेश में अप्रासंगिक हो जाने के कारण मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियमन (संशोधन) अध्यादेश 2019 को स्वीकृति दे दी। इस अध्यादेश के जरिए प्रदेश के अधिसूचित क्षेत्रों में आदिवासी वर्ग को अत्यधिक ब्याज दरों पर साहूकारों द्वारा ऋण देने की प्रवृत्ति एवं उत्पीड़न को रोकने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा, मंत्रिपरिषद ने मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त ऐसे सभी मदरसों, जिन्हें भारत सरकार से अनुदान प्राप्त करने के लिए राज्य शासन द्वारा अनुशंसा की गई है अथवा की जाएगी, को मध्यान्ह भोजन योजना का लाभ देने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से प्राथमिक स्तर के मदरसों में अध्ययनरत 26 हजार 400 और माध्यमिक स्तर के मदरसों में अध्ययनरत 7850 विद्यार्थियों, यानी कुल 34 हजार 250 विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा और इससे राज्य सरकार पर लगभग 10 करोड़ 20 लाख रुपये का व्यय भार आएगा।

मंत्रिपरिषद ने वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत निरस्त दावों के बेहतर परीक्षण के लिए पूरी व्यवस्था कम्प्यूटरीकृत करने के लिए महाराष्ट्र नॉलेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा तैयार किए गए वन मित्र सॉफ्टवेयर को एकल निविदा के तहत क्रय करने की भी मंजूरी दे दी।


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