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100 ग्राम की रजाईयां अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला-2021 में हिट

दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे 40 वें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला के राजस्थान मंडप में 100 ग्राम की जयपुरी रजाईयां लोगों की पसंद का केंद्र बनी हुई हैं

100 ग्राम की रजाईयां अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला-2021 में हिट
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नई दिल्ली। दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे 40 वें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला के राजस्थान मंडप में 100 ग्राम की जयपुरी रजाईयां लोगों की पसंद का केंद्र बनी हुई हैं। राजस्थान पवेलियन में जयपुरी रजाईयों के स्टॉल संचालक मोहम्मद युसुफ ने बताया कि मात्रा 100 ग्राम वजन से तैयार जयपुरी रजाईयों को आगंतुक काफी पसंद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जयपुरी रजाईयां बनाना बुनकरों का वंशानुगत व्यवसाय है और इसे वे पिछली कई पीढ़ीयों से करते आ रहे हैं। इसे बनाने में घर के बुजुर्गो से लेकर महिलाएं भी अपना पूर्ण योगदान करती हैं।

उन्होंने बताया कि जयपुर के जुलाहा सर्दी के मौसम में घरेलू उपयोग में आने वाले सभी प्रकार के उत्पादों को बनाते हैं, लेकिन रजाई बनाने में उन्हें विशेष योग्यता प्राप्त है। सर्दियों में दैनिक उपयोग के लिये रजाई की उच्च गुणवत्ता का उत्पादन उनकी विशेष पहचान है।

विक्रेता मोहम्मद युसुफ ने बताया कि रजाईयों को बनाने के लिए बेहतरीन सामग्री का उपयोग किया जाता है, वजन में हल्की होने के बावजूद ये बहुत ही गर्म और आरामदायक होती हैं। इनको बनाने में उच्च श्रेणी की शुद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण कपास का प्रयोग किया जाता है। साथ ही आधुनिक फैशनेबल एवं राजस्थानी डिजाइनों में इन्हें बनाया जा रहा है जिसे ग्राहकों द्वारा काफी पसंद किया जाता है। उन्होंने बताया कि ग्राहकों के लिये अलग-अलग आकृति और आकार में रजाईयां उपलब्घ हैं।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष स्टॉल पर रजाईयां 500 से 5000 तक की रेंज में उपलब्ध हैं। ताहिर ने बताया कि राजस्थान की शुद्ध कपास से पारंपरिक सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंट में विश्व प्रसिद्ध जयपुरी डबल बेड की रजाईयां भी बनाई जा रही हैं जो कि दर्शकों द्वारा काफी पसंद की जाती हैं। जयपुरी रजाई अपने कम वजन, कोमलता और गर्मी के लिये विशेषरूप से जानी जाती हैं।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा फाईवर और बनारसी जरी बॉर्डर पर सुंदर पुष्प डिजाईन और गहरे रंगों की रजाईयां भी बनाई जाती हैं। मेले में जयपुरी सिल्क के बहुत ही गुणवत्ता के कवर भी उपलब्ध हैं, जो कि दर्शकों को काफी पसंद आ रहे हैं।

मोहम्मद युसुफ ने बताया कि जयपुरी रजाई बनाने की इस विशेष कला के लिये उनके पिता मोहम्मद हनीफ को राज्य एवं अन्य प्रसिद्ध पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। उन्होंने बताया कि राजस्थली का हमेशा प्रयास रहा है कि ग्राहकों को उत्पादनों से अधिकतम संतुष्टि प्राप्त हो। हमें अपने ग्राहकों को अधिकतमक संतुष्टि और उनकी सभी जरूरतों को पूरा करने में बहुत ही खुशी मिलती है।

विक्रेता युसुफ के अनुसार जयपुरी रजाईयों के अतिरिक्त स्टॉल पर रूई से बनी जैकैट्स की भी बिक्री की जा रही है, जिसकी रेंज 800 रुपए से 2000 रुपए तक रखी गई है।


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