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जलवायु परिवर्तन पर भारतः 100 अरब डॉलर तो सागर में बूंद बराबर हैं

भारत ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ने के लिए अमीर देशों को सौ अरब डॉलर का अनुदान देना चाहिए.

जलवायु परिवर्तन पर भारतः 100 अरब डॉलर तो सागर में बूंद बराबर हैं
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कोयले से बिजली कब तक

भारत ने 100 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए संयंत्र लगाए हैं जो कुल क्षमता का लगभग 25 प्रतिशत है. ऊर्जा की अपनी बढ़ती जरूरतों के लिए भारत 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन 450 गीगावाट तक ले जाना चाहता है.

सुब्रमण्यन कहते हैं कि भारत 7 प्रतिशत से ज्यादा सालाना आर्थिक विकास दर चाहता है और उसके लिए हर संभव प्रयास करेगा. कोयले से बिजली पैदा करना उन प्रयासों का हिस्सा बना रहेगा.

भारत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. चीन और अमेरिका ही उससे ऊपर हैं. इसलिए विशेषज्ञ मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन रोकने की लड़ाई में भारत की भूमिका बेहद अहम है.

COP26 सम्मेलन को लेकर दुनियाभर के विशेषज्ञ बड़ी उम्मीदें लगाए हुए हैं. उन्हें उम्मीद है कि धरती का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से बढ़ने से रोकने में सरकारों की प्रतिबद्धता हासिल करने में यह सम्मेलन योगदान देगा. वैज्ञानिकों ने 1.5 डिग्री सेल्यिस की सीमा तय की है, जिससे ज्यादा औसत तापमान का बढ़ना विनाशक हो सकता है.


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