जनहित याचिका लगाने पर वकील को 10 हजार जुर्माना
विधानसभा द्वारा आरटीआई के तहत जानकारी देने का शुल्क के खिलाफ लगाई गई
बिलासपुर। विधानसभा द्वारा आरटीआई के तहत जानकारी देने का शुल्क के खिलाफ लगाई गई याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि नियमित प्रेक्टिस करने वाले अधिवक्ता का काम आम लोगों की तरह जनहित याचिका लगाना नहीं है। हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने नराजगी जताते हुए याचिकाकर्ता पर दस हजार का कास्ट लगाया।
जानकारी के अनुसार जिला न्यायालय अम्बिकापुर के अधिवक्ता दिनेश सोनी ने हाईकोर्ट में यह कहते हुए याचिका लगाई की लोकसभा, राज्यसभा सहित पूरे प्रदेश में आरटीआई का शुल्क दस रूपए से अधिक नहीं है। परन्तु छत्तीसगढ़ विधानसभा में इसका शुल्क पांच सौ रूपए है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता व पी.सेम.कोसी की डिवीजन बेंच ने सरकार से जवाब-तलब करते हुए शुल्क कम करने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य शासन ने आरटीआई का शुल्क तीन सौ रूपए कर दिया था फोटो कापी प्रति पृष्ठ शुल्क 10-15 रूपए कर दिया गया था। शासन के इस निर्णय के खिलाफ याचिका कर्ता ने प्रत्युत्तर में हाईकोर्ट की दूसरी डिवीजन बेंच में कहा कि यह शुल्क भी आम लोगों के लिए अधिक है। इसे 10-20 रूपए किया जाए। प्रीतिंकर दिवाकर व संजय श्याम अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने याचिका खारिज कर दी।
बेंच ने कहा नियमित प्रैक्टिस करने वाले वकील को आम लोगों की तरह जनहित याचिका खुद नहीं लगानी चाहिए और याचिकाकर्ता को दस हजार रूपए कास्ट किया।


