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किसान आंदोलन: मोदी के गढ़ के किसान भी आएंगे दिल्ली

गुजरात में लगभग 17 किसान संगठनों के एक परिसंघ ने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन को समर्थन देने का फैसला किया है

किसान आंदोलन: मोदी के गढ़ के किसान भी आएंगे दिल्ली
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गांधीनगर। गुजरात में लगभग 17 किसान संगठनों के एक परिसंघ ने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन को समर्थन देने का फैसला किया है। इसके तहत गुजरात किसान संघर्ष समिति द्वारा गुजरात से लगभग 10,000 किसानों को इकट्ठा करके अगले पखवाड़े तक राष्ट्रीय राजधानी पहुंचाने की योजना बनाई गई है। दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन को बढ़ता देख गुजरात के सैकड़ों किसान, जयपुर-दिल्ली सीमा और दिल्ली की अन्य सीमाओं पर पहुंच गए हैं। आंदोलनकारियों के साथ एकजुटता दिखाने शुरुआत में राज्य के 150 किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर पहुंचे, उसके बाद 60 और फिर बुधवार को 80 और किसान यहां पहुंचे।

राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलने के कारण किसान विभिन्न सीमाओं पर ही 22 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान 20 बुजुर्ग किसानों की ठंड से मौत हो चुकी है और बुधवार को एक सिख संत ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।

गुजरात कांग्रेस किसान सेल के अध्यक्ष पाल अम्बालिया ने कहा, "आजादी के बाद संभवत: यह पहली बार है कि जब देश में इतने बड़े पैमाने पर आंदोलन हो रहा है, मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन नए 'काले कानून' न केवल किसानों को चोट नहीं पहुंचाएंगे, बल्कि ये आम आदमी, छोटे व्यापारी, गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए भी नुकसानदेह हैं। हम पहले चरण में हर तहसील से कम से कम 10 किसान और अगले चरण में हर तहसील से 30 -30 किसान यहां लाएंगे। इस तरह एक पखवाड़े में 10,000 से अधिक किसान आंदोलन के समर्थन में दिल्ली पहुंच जाएंगे।"

उन्होंने आगे कहा, "हमने हर दिन के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाई है। प्रत्येक दिन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हमारे विरोध को दर्शाते हुए आंदोलन स्थल पर एक नया कार्यक्रम होगा। लेकिन ये सभी विरोध अहिंसक प्रकृति के होंगे और गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित होंगे। जब तक तीनों कानून वापस नहीं लिए जाएंगे, तब तक हम यहां से नहीं हटेंगे।"

इन नए कार्यक्रमों के तहत बुधवार को किसानों ने आंदोलन के दौरान किए जाने वाले कार्यक्रम के तहत गुजरात का पारंपरिक गरबा नृत्य भी किया।


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