रायगढ़ में घट रहा है प्रदूषण का स्तर!
वैसे तो रायगढ़ में आज प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर पार कर चूका है

रायगढ़। वैसे तो रायगढ़ में आज प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर पार कर चूका है । खासकर रायगढ़ से पूंजीपथरा तक। इसके लिये न तो किसी अध्ययन की जरुरत है न ही किसी सर्टिफिकेट की।
आम आदमी खुद इसे महसूस कर रहा है । घर की छतों, पेड़ों पर जमी काली राख़ इसके जीवंत प्रमाण हैं, लेकिन ये सब फैक्ट्री वालों को नजर नहीं आता। उद्योग स्थापना या विस्तार के लिये जब जन सुनवाई करवानी होती है तो पर्यावरण प्रभाव आंकलन याइ.आई.ए. रिपोर्ट बनवाना इनकी मज़बूरी होती है, जिसमे सब कुछ हरा ही हरा दिखाया जाता है।
ऐसा ही एक उदहारण तिरुमाला बालाजी एलाय की रिपोर्ट में देखने को मिला । इस रिपोर्ट की माने तो दिसंबर 15 से दिसंबर 16 के बीच प्रदूषण में गौरतलब कमी आई है।पूंजीपथरा मेंपी एम 2.5, का स्तर 86.4 से आधे से ज्यादा घटकर 37.4, पी एम 10,198 से तीन गुना घटकर मात्र 66.3 रह गया । नाइट्रोजन आक्साइड 33.8 से घटकर 25.7 और खतरनाक जहरीली गैस कार्बन मोनोआक्साइड1.768 से घटकर मात्र 0.9 रह गई । इसी प्रकार से केलो के पानी और भूजल में भी प्रदूषण की मात्रा घट कर पीने लायक हो गया है ।
ज्यादा वाले आंकड़े 2015 में बनाई गई स्केनिया स्टील की तो कम वाले आंकड़े 2016 में तिरुमाला बालाजी कीइ.आई.ए. रिपोर्ट के हैं । हकीकत में दोनों की ही रिपोर्ट छलावे के सिवाय कुछ नहीं है क्योंकि केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड दिल्ली की अध्यन रिपोर्ट के अनुसार इस एरिया में वायु प्रदूषण का स्तर इनकी रिपोर्ट से कंही बहुत ज्यादा है ।
दरअसलइ.आई.ए. रिपोर्ट बनवाने के लिये उद्योग अपने बजट के हिसाब से कंसल्टेंट्स चुनती है। अब जाहिर है जब पैसा कंपनी दे रही है तो रिपोर्ट भी उद्योग के पक्ष में ही बनाने की बाध्यता हो ही जाती है। यही पेशे का दस्तूर भी है ।


