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राम जन्मभूमि पर मंदिर नहीं बना तो भाजपा को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी:  नृत्य गोपाल दास

नृत्यगोपालदास ने आज चेतावनी देते हुए कहा कि राम जन्मभूमि पर मंदिर नहीं बना तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

राम जन्मभूमि पर मंदिर नहीं बना तो भाजपा को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी:  नृत्य गोपाल दास
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टीकमगढ़। राम जन्मभूमि और कृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास ने आज चेतावनी देते हुए कहा कि राम जन्मभूमि पर मंदिर नहीं बना तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

महंत नृत्यगोपालदास ने मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में पत्रकारों के प्रश्न का उत्तर देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि देश के मतदाताओं ने वर्ष 2014 में भाजपा को केन्द्र में सरकार और 2017 में उत्तरप्रदेश में सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत इसलिए दिया था कि वह अयोध्या में राम मंदिर जल्द बनाये।

लोकसभा देश की सर्वोच्च संस्था है, वहां से कानून बनाकर जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए भाजपा राम जन्मभूमि के पवित्र स्थान पर दिव्य राम मंदिर का निर्माण कराये, अन्यथा वह इसकी बड़ी कीमत चुकाएगी।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने जनता की भावनाओं का सम्मान नहीं करते हुए चार वर्षों का समय निकाल दिया, जिससे साधु-संत और देश की जनता में मोदी सरकार से मोहभंग हो रहा है।

जब उनसे पूछा गया कि चार वर्षों की अवधि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में रामलला के दर्शन नहीं किए तो उन्होंने कहा कि मोदी ने ऐसे पुण्य नहीं किए हैं कि वह दर्शन करने अयोध्या आ सकें।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लगातार मंदिर जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी अत्यंत धार्मिक स्वभाव की महिला थीं और वह उनका अनुसरण कर सीख रहे हैं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि आरक्षण को पूर्णतः समाप्त कर देना चाहिये। आरक्षण जितनी अवधि के लिए था, उससे कहीं अधिक समय तक लोगों ने इसका लाभ ले लिया है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश भर के प्राचीन मंदिरों के संरक्षण, पुनरुद्धार और उनकी मरम्मत के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को एक बोर्ड गठित कर उसे पर्याप्त बजट देना चाहिए। इस कार्य में विश्व हिन्दू परिषद को दायित्व निभाना चाहिए।

महंत नृत्यगोपालदास टीकमगढ़ में सूखे से मुक्ति और अच्छी बारिश की मनौती के साथ 150 वर्षों बाद आयोजित 10 दिवसीय श्रीराम यज्ञ महोत्सव और ज्ञानयज्ञ महोत्सव के लिए सात सौ से अधिक संत, महात्माओं और साधुओं की टोली के साथ नगर के प्रवास पर थे।


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