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भटक रहे हाथियों के कारण विस्थापित हुए पहाड़ी कोरवा

रायगढ़ जिले के धर्मजयगढ़ वन मंडल में हाथियों की आमदरफ्त के कारण जंगलों के बीच रहने वाले पहाड़ी कोरवा खानाबदोशों की जिंदगी जीने को मजबूर हो रहें है

भटक रहे हाथियों के कारण विस्थापित हुए पहाड़ी कोरवा
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धरमजयगढ़। रायगढ़ जिले के धर्मजयगढ़ वन मंडल में हाथियों की आमदरफ्त के कारण जंगलों के बीच रहने वाले पहाड़ी कोरवा खानाबदोशों की जिंदगी जीने को मजबूर हो रहें है।

हाथियों की जंगलों में आवाजाही के कारण इन पहाड़ी कोरवाओं को विस्थापित तो कर दिया गया है मगर इनमें से किसी भी परिवार को शासन की योजनाओं का सही लाभ नही मिल पा रहा है। जिसके कारण अंचल के दर्जनों परिवार भटकने को मजबूर हैं।

वन मंडल धरमजयगढ़ मे 2001 मे पहली बार 13 हाथियो का झुंड ग्राम हाथीगाड़ा में देखा गया था जिसमे 05 नर 05 मादा और हाथियों के 03 शावक देखे गये थे। चूकि आज पूरे छत्तीसगढ़ मे 229 हाथी देखे जा रहे है जिसमे सबसे ज्यादा हाथियों की संख्या वन मंडल धरमजयगढ़ में 15 अप्रेल को लगभग 140 हाथी देखा गया है।

जिसमे बीते 03 महिनों मे ग्राम छपराडांड, कुमरता, डाहीडांड, पारेमेर और उपर सलखेता मे 137 मकानों को हाथियो से पूर्ण छति ग्रस्त किया है इसी ग्राम मे से ग्राम पंचायत गिधकालो के उपर सलखेता मे बीते एक महीने मे ग्राम के सुखदेव, बाबूलाल, इन्दर साय, बुधु राम , कुदरू, सुरेष, जगत राम दुरजन , बुझबल दसरूराम, मोहरसाय, देवनाथ, बालमुकुन्द, थिबलीबाई साधराम, अजित, रूपन, अम्रित, जोहन, श्यामवती सन्यु बाई, सिलबेस्टर, रामप्रसाद, रामसाय, रामनाथ, जयनाथ, सन्तराम, जौहेर लाल, अनिल, राजमोती, बलराम, चैनसाय, सनियारो, सुन्दर, अर्जुन, सुकरू मनीराम, गुडडी , बिलास, घरटीबाई, इतवारी, समारू, षिवनाथ, कार्तिक, दिनोबाई, राजेस, लालराम, जीतन, काषीराम, सागरसाय, समत, सबलसाय, कमल, रमजीत, लक्ष्मी, फूलबाई, सहित 56 घरों को पूर्ण रूप से हाथियों से छति ग्रस्त हुआ है।

और वह पहाड़ी कोरवा आस-पास के गांव में तथा स्कूल भवन में पालियन करने को मजबूर दिख रहें है। गांव में कुल 84 परिवार है, ग्रामीणो का संख्या 428 है। जिसमे सबसे ज्यादा पहाड़ी कोरवा सामिल है।

कोरवाओं के बीच पहुंचे मधु

धरमजयगढ़ वन मंडल के वन परिक्षेत्र कापू के ग्राम पंचायत गिधकालो में हाथियों से पहाड़ी कोरवाओं का भारी नुकसान होने की सूचना पाकर धरमजयगढ़ में लम्बे समय से हाथी मित्र सहयोगी सजल मधु समाज हित में हाथियों से नुकसान, जनहानि तथा क्षेत्र के किसानों के फसल नुकसान को लेकर शासन को अवगत कराते रहे है।

जैसे हितग्राही को जल्द से जल्द हाथियों से नुकसान का मुआवजा दिलाने में लगातार कार्य करते देखे गये है। इसी कड़ी मे धरमजयगढ़ से लगभग 40 किलो मीटर दूर जंगलों में बसे पहाड़ी कोरवा के बीच पहुंचा, जहां का मंजर बहुत ही कस्टदायक दिखा और पहाड़ी कोरवाओ की आपबीती सुना तो प्रषासन पर ही सवालिया निसान खरा होता दिख रहा है। पहाड़ी कोरवा लम्बे समय से अपने गांव छोड़ दुसरे गांव में पालियन कर रहे है।

सुबह होते ही रोज की तरह अपने टूटे हुए आसियानों में पहुच कर बैल , बकरी तथा अन्य जानवरों को दिनभर देखभाल के बाद गांव मे ही छोड़ कर दूसरे गांव मे चले जाते है। पहाड़ी कोरवाओं की समस्याओं को लेकर सजल मधु तत्काल क्ष्ेात्रीय रेंजर नन्दलाल भगत तथा वन मंडल अधिकारी एस0एस0 कंवर से चर्चा करते हुए जल्द से जल्द मकान छति का मुआवजा देने की बात रखी। ऐसे मे राष्ट्रापति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवाओं की समस्याओं को सुनने अबतक प्रषासन मौके पर नही पहुंचा। सभी सुविधाओं से अबतक वंचित है।

अब देखना होगा कि प्रषासन पहाड़ी कोरवाओं की समस्याओं को कितनी गंभीरता से लेती है यह देखने वाली बात होगी। शासन को चाहिए कि पहाड़ी कोरवाओं सहित पूरे 84 परिवारों को एक सुरक्षित जगह पर पुर्नवास दे, ताकि अपना जीवन यापन अच्छे से कर पाये।

और जल्द से जल्द मकान छति का मुआवजा विभाग द्वारा दिया जावे, ताकि पीड़ित को समय पर काम आवे।


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