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कैलाश खेर का बचपन मेरठ की गलियों में गुजरा, जहां संगीत उनके लिए जीवन का आधार बन गया। उनके पिता पंडित मीजान खेर एक लोक गायक थे

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साल 2003 में फिल्म 'अंदाज' के गाने 'रब्बा इश्क ना होवे' से कैलाश ने बॉलीवुड में कदम रखा, लेकिन असली पहचान 'अल्लाह के बंदे' से मिली
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कैलाश खेर का बचपन मेरठ की गलियों में गुजरा, जहां संगीत उनके लिए जीवन का आधार बन गया
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