इस्लामाबाद ! पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के हालिया अमेरिका दौरे के बाद एक पाकिस्तानी समाचार पत्र ने लिखा है कि ऐसा प्रतीत हुआ जैसे शरीफ, ओबामा से मुलाकात के दौरान अपनी बात रखने की जगह उन्हें सुनते ही रह गए। समाचार पत्र 'द न्यूज इंटरनेशनल' में शनिवार को प्रकाशित संपादकीय के अनुसार, "नवाज शरीफ की व्हाइट हाउस की यात्रा को अफगानिस्तान के साथ संबंधों की दिशा में और अपनी सीमा के अंदर मौजूद विभिन्न आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्यवाही की दिशा में पाकिस्तान की प्रतिबद्धता सुरक्षित करने के लिहाज से काफी अहम था।"
हालांकि आलोचक ऐसे तर्क भी दे सकते हैं कि शरीफ की इस यात्रा से कुछ ठोस निकलकर नहीं आ सका।
संपादकीय में आगे कहा गया है, "दूसरी ओर शरीफ की यात्रा के दौरान सद्भाव की बात दोहराए जाने, साथ मिलकर काम करने की जरूरत पर बल देने और अन्य टिप्पणियों एवं वक्तव्यों से यह समझा जा सकता है कि पाकिस्तान के अपने सबसे अहम साझीदार के साथ संबंध कमजोर नहीं हुए हैं।"
संयुक्त बयान पाकिस्तान द्वारा सभी आतंकवादी संगठनों जैसे हक्कानी समूह और लश्कर-ए-तैयबा के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की प्रतिबद्धता पर केंद्रित रहा।
समाचार पत्र ने कहा कि 'भारत के साथ नियंत्रण रेखा को लेकर विश्वास बहाली पर अस्पष्ट बयान देने और ओबामा द्वारा परमाणु आतंकवाद के लगातार बढ़ रहे खतरे का मामला उठाए जाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि नवाज को अपनी बात रखने का ज्यादा मौका नहीं मिला और वह सिर्फ ओबामा को सुनते ही रह गए।'
समाचार पत्र आगे कहता है, "फिर कोई परमाणु समझौता भी नहीं हो सका, जिसकी पाकिस्तान को लंबे अरसे से उम्मीद है।"
इन सबके बावजूद अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ मित्रता कायम रखने की इच्छा जाहिर की है, जो पाकिस्तान के लिए अच्छी खबर है।
संपादकीय में हालांकि यह भी कहा गया है कि भारत द्वारा पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किए जाने पर लाए गए पाकिस्तानी डॉजियर पर अमेरिका की चुप्पी जरूर पाकिस्तान की एक असफलता रही।