संयुक्त राष्ट्र | भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के चयन के तौर-तरीके में बड़े पैमाने पर बदलाव का आह्वान किया है। भारत ने कहा है कि अगले साल महासचिव बान की-मून का कार्यकाल समाप्त होने के बाद नए महासचिव के चुनाव में पूरी पारदर्शिता बरती जानी चाहिए। चयन का अधिकार मिलना चाहिए और महासचिव का चयन सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों का विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए।
भारत के प्रतिनिधि भर्तृहरि महताब ने सुरक्षा परिषद से मंगलवार को कहा कि परिषद में होने वाले गुप्त मतदान को खत्म कर दिया जाना चाहिए और चर्चा खुले सत्र में होनी चाहिए, जिसकी कार्रवाई की संक्षिप्त जानकारी संयुक्त राष्ट्र महासचिव को देनी चाहिए। साथ ही सुरक्षा परिषद को ऐसे दो या इससे अधिक प्रत्याशियों के नाम सुझाने चाहिए, जिन्हें चुनने के लिए महासभा मतदान कर सके।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर अभी कहता है कि सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा को महासचिव चुनना चाहिए। महासभा के 1946 के एक प्रस्ताव में यह भी जोड़ा गया है कि सुरक्षा परिषद को केवल एक नाम की सिफारिश करनी चाहिए और इस पर बहस से बचना चाहिए।
चुनाव की प्रक्रिया यह है कि सुरक्षा परिषद के स्थाई और गैर स्थाई सदस्यों को अलग-अलग रंग की पट्टियां दी जाती हैं। स्थाई सदस्यों में से कोई भी किसी के नाम पर वीटो कर सकता है, लेकिन यह नहीं पता चलता कि वीटो किसने किया है।
मत स्थाई और अस्थाई, दोनों सदस्य देश देते हैं, लेकिन फैसला इसी से होता है कि पांचों स्थाई सदस्यों का बहुमत किसे चुनता है। जिसे ये चुनते हैं, उसी के नाम को महासभा के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाता है।
महताब ने कहा, "चुनाव को पारदर्शी बनाने के लिए अलग-अलग रंगों वाली पट्टियों के जरिए होने वाले गुप्त मतदान को खत्म करना अनिवार्य है। यह वह तरीका है, जिसमें स्थाई सदस्यों को वीटो का अधिकार मिला हुआ है। उनमें से कोई इस अधिकार का इस्तेमाल कर लेता है और पता भी नहीं चलता कि किसने ऐसा किया।"
उन्होंने कहा कि हम सुरक्षा परिषद से आग्रह करते हैं कि दो या अधिक नामों को महासभा के पास चयन के लिए भेजा जाए। महताब ने सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों से भी इस मामले में आवाज उठाने का आह्वान किया।