सीरिया में इस्लामिक स्टेट (आईएस) की दिन ब दिन बढ़ती आतंकी गतिविधियों से दुनिया की शांति और सभ्यता के लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है। एक ओर अपनी क्रूरता का प्रभाव दिखाने के लिए निर्दोष लोगों की नृशंस हत्याएं और दूसरी ओर ऐतिहासिक महत्त्व की इमारतों, वास्तुशिल्प के बेजोड़ नमूनों को नष्ट कर मानो दुनिया से शांतिकाल में पनपने वाली कला और सभ्यता को खत्म करने की कोई खतरनाक चाल आईएस चल रहा है। सीरिया के पल्माइरा शहर पर कब्जे के बाद आईएस वहां विध्वंस का नया खेल खेल रहा है। ईसापूर्व दूसरी सहस्राब्दि से इस शहर का इतिहास मिलता है और रोमन साम्राज्य में संपन्नता व सभ्यता के नए शिखर इस शहर ने छुए। समय के साथ संपन्नता व वैभव क्षीण हुए, लेकिन उसकी निशानियां कई रूपों में बाकी रहीं। अब आईएस उस प्राचीन गौरव को तहस-नहस करने पर आमादा है। कुछ समय पहले उसने वहां दो ऐतिहासिक मंदिरों को नष्ट किया और अब दो हजार साल पुराने मेहराब को नष्ट कर दिया है। 'आर्च ऑफ ट्राइअम्फÓ नामक यह मेहराब पल्माइरा की एक खास पहचान है, जिस पर मई में आईएस समूह ने कब्जा कर लिया था। ऐतिहासिक महत्व का यह मेहराब प्राचीन शहर में मशहूर स्तंभयुक्त गलियारे के ऊपर स्थित था जो रोमन साम्राज्य को फारस से जोड़ता था। एक सोचे-समझे अभियान के तहत आईएस ऐतिहासिक महत्व की इमारतों को नष्ट कर रहा है। वर्तमान सीरिया पर कहर ढा रहा है और भविष्य को अंधकारमय कर रहा है। एक आतंकी संगठन अपनी गतिविधियों से विश्व की तमाम ताकतों को चुनौती दे रहा है और ये ताकतें उस चुनौती को मिलकर स्वीकार करने की जगह अपने अहं को तुष्ट करने वाले निर्णय ले रही हैं। क्या कारण है कि संरा सम्मेलन में आईएस के खात्मे के लिए प्रतिबद्धता दर्शाने के बावजूद ताकतवर देश एकजुटता नहींदिखा रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने अमरीका से स्पष्ट कह दिया था कि वे असद सरकार के खिलाफ नहींजाएंगे। रूस ने सीरिया में आईएस के ठिकानों पर हमले प्रारंभ कर दिए हैं। रूस का दावा है कि उसके हमलों से आईएस के लड़ाकों में भय और पलायन का माहौल बन रहा है। लेकिन अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, तुर्की आदि देश रूस की इस कार्रवाई में साथ नहींदे रहे, उल्टे विरोध जतला रहे हैं। इनका कहना है कि रूस उन लोगों को भी निशाना बना रहा है, जो आईएस से संबंधित नहींहैं और असद सरकार के विरोधी हैं। हालांकि रूस ने इसका खंडन किया है।आईएस, सीरियाई विद्रोही और कुर्द सेनानियों के साथ असद सरकार का गतिरोध और संघर्ष लगातार चल रहा है। ऐसे में यह आरोप आसानी से लगाया जा सकता है कि एक के बहाने दूसरे को निशाना बनाया जा रहा है। अगर रूस की जगह अमरीका या ब्रिटेन ऐसी कार्रवाई करते तो रूस की ओर से भी आरोप लग सकते थे कि वह असद सरकार को निशाना बना रहे ैहैं। लेकिन यह समय अविश्वास का नहींमिलकर काम करने का है। अगर अमरीका और ब्रिटेन को रूस की सैन्य कार्रïवाई पर भरोसा नहींतो वे क्यों नहींउसके साथ आईएस पर हमले में सहयोग करते और यह सुनिश्चित करते कि सरकार के विरोधियों पर हमला न हो, केवल आईएस के ठिकानों पर हो। राष्ट्रपति असद ने हाल ही में कहा है कि चरमपंथियों को खत्म करना है तो सीरिया के साथ रूस, ईरान, इराक को मिलकर मुकाबला करना होगा। रूस को इस विषय में सोचना चाहिए। असद सरकार का भविष्य सीरिया की जनता तय कर लेगी, पहले स्वयं सीरियाई जनता का भविष्य तो मुकम्मल नजर आए। विनाशकारी युद्धक्षेत्र में तब्दील हो चुके सीरिया में लाखों लोग मारे जा चुके हैं और एक करोड़ से अधिक लोग देश छोडऩे पर मजबूर हैं। सीरिया को उसकी समस्या के साथ अकेला छोडऩा आईएस को बढ़ावा देना है।