• युवाओं को भटकाता आईएस

    आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट यानी आईएस एक ओर क्रूर, हिंसक गतिविधियों के कारण विश्वशांति के लिए खतरा बन गया है, दूसरी ओर युवाओं को अपने जाल में फंसाने की प्रवृत्ति के कारण समाज के लिए कठिन चुनौती बनता जा रहा है।...

    आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट यानी आईएस एक ओर क्रूर, हिंसक गतिविधियों के कारण विश्वशांति के लिए खतरा बन गया है, दूसरी ओर युवाओं को अपने जाल में फंसाने की प्रवृत्ति के कारण समाज के लिए कठिन चुनौती बनता जा रहा है। भारत समेत दुनिया के कई देशों से ऐसी खबरें लगातार आ रही हैं कि आईएस किस तरह युवाओं को आकर्षित करने का खेल रच रहा है। इसमें सोशल नेटवर्किंग साइट्स उसकी मददगार साबित हो रही हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए दुनिया के कोने-कोने में बैठे लोग एक-दूसरे से निरंतर संपर्क में हैं, लेकिन इन वेबसाइट्स के संचालकों के पास यह सुविधा रहती है कि वे इसके उपभोक्ताओं पर नजर रख सकेें। इंटरनेट के इस्तेमाल में गोपनीयता के भंग होने के खतरे हमेशा बरकरार रहते हैं। कई प्रभुत्वशाली देश दूसरे देशों की जासूसी के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में यह बात आश्चर्यजनक लगती है कि किस तरह सोशल नेटवर्किंग साइट्स, ई मेल आदि के जरिए आईएस दुनिया भर में अपना प्रचार कर रहा है, युवाओं को भ्रमित कर अपनी ओर आकर्षित कर रहा है और ऐसे मेल्स या साइट्स पर होने वाले वार्तालाप पर न रोक लग पा रही है न उसकी कड़ी निगरानी हो रही है। यह सवाल उपजना स्वाभाविक है कि जिस तरह इजरायल, अफगानिस्तान आदि में आतंक के संगठन खड़े किए गए क्या आईएस उसकी ही अगली कड़ी है? दुनिया युवा शक्ति के सहारे भविष्य के स्वप्न संजोती है और आईएस भी युवा शक्ति को ही अपने फायदे के लिए भुनाना चाह रहा है। सीरिया, इराक से आगे बढ़कर आईएस की पहुंच यूएई, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत तक में हो रही है। पिछले दिनों ही दुबई से 10 भारतीय युवकों को भारत वापस भेजा गया, जो आईएस से जुडऩे जा रहे थे। इसी तरह एक महिला को हैदराबाद में पुलिस ने गिरफ्तार किया। इस महिला को भी दुबई से भारत वापस भेजा गया था। यह इंटरनेट के माध्यम से आईएस में युवाओं की भर्ती कराती थी। खुद को ब्रिटिश बताने वाली इस महिला के कई फेसबुक अकाउंट हैं और एक युवक के साथ मिलकर वह तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार आदि कई राज्यों में युवाओं को बहलाकर आईएस में शामिल होने के लिए उकसाती थी। धर्म, धन, शक्ति, रोमांच न जाने किसका आकर्षण अधिक होता है कि पढ़े-लिखे, उच्च शिक्षित, समझदार माने जाने वाले युवा इस आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए तत्पर हो जाते हैं। हाल ही में दिल्ली में एक अचरज भरा मामला सामने आया है। यहींसे स्नातक और आस्ट्रेलिया में तीन साल शिक्षा प्राप्त कर भारत लौटी एक युवती आईएस में शामिल होने की तैयारी में थी, लेकिन उसके पिता को यह बात पता चली तो उन्होंने इसकी खबर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को दी और अब इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) इस युवती को समझाने में लगी है । युवती के पिता सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। उन्हें अपनी बेटी के व्यवहार में कुछ परिवर्तन दिखा, उसके कंप्यूटर पर कुछ संदिग्ध सामग्री दिखी और इसकी सूचना उन्होंने एनआईए को दी। ऐसे दृष्टांत भी समाज में कम ही मिलते हैं कि अभिभावक स्वयं बढ़कर अपने बच्चों की गलतियां उजागर करें, फिर यह तो आतंकवाद से जुड़ा गंभीर मामला है। आईबी इस युवती को किस तरह समझा पाती है और उससे कितनी सूचनाएं एकत्र कर पाती है, यह अलग विषय है। लेकिन समाज के लिए यह चिंता का विषय होना चाहिए कि आखिर हमारे युवा क्यों और कैसे दिग्भ्रमित हो रहे हैं। आईएस में शामिल होने के लिए केवल मुस्लिम युवा ही प्रवृत्त हो रहे हैं, ऐसा नहींहै, कुछ नाम हिंदू युवाओं के भी हैं। दिल्ली की यह युवती भी हिंदू धर्म की ही है। आदमी की सुविधा के लिए बना धर्म नकारात्मक सोच के कारण किस तरह असुविधा का सबब बनता जा रहा है, इसके उदाहरण रोजाना भी हमारे सामने पेश हो रहे हैं। धर्म के नाम पर इंसानियत से खिलवाड़ करने वाले युवाओं को अपना मोहरा बना रहे हैं। जब बच्चे-बच्चे के हाथ में मोबाइल हो तो इस बात की आशंका अधिक रहती है कि उन तक कई अवांछित जानकारियां पहुंच रही हैं। अभिभावकों के लिए यह समय कठिन है। कंप्यूटर और मोबाइल में व्यस्त आत्मकेन्द्रित हो रही इस युवा पीढ़ी से निरंतर संवाद की जरूरत है। उनकी सोच को सही दिशा देने वाले मार्गदर्शन की आवश्यकता है। घर-परिवार, स्कूल-कालेजों में इसके लिए लगातार प्रयास होना चाहिए। तभी हम युवाओं को भटकाव से बचा पाएंगे और अपने भविष्य को भी।

अपनी राय दें