जहां बिजली की सुविधा है वहां किसानों को 24 घंटे बिजली उपलब्ध करा दी जाए तो सूखे की स्थिति में यह सबसे बड़ी मदद होगी। सरकार ने भरोसा दिलाया है कि किसानों को 24 घंटे बिजली मिलेगी। यह एक चुनौती तो है पर असंभव नहीं है। बिजली सुविधा को लेकर किसानों को शिकायत रही है कि उनके खेतों तक बिजली तो पहुंचा दी गई है, पर बिजली पूरे समय नहीं रहती। कई जगह वोल्टेज कम होने की समस्या है। बिगड़े ट्रांसफार्मरों और लाइनों में सुधार करके किसानों को बिजली संबंधी शिकायत दूर की जा सकती है। इसके लिए बिजली वितरण कंपनी के अधिकारियों को किसानों का दोस्त बनकर काम करना होगा। उन्हें सिर्फ एक उपभोक्ता के रुप में देखने की कोशिश की गई तो सरकार किसानों का भरोसा कायम नहीं रख सकेगी। सिंचाई के लिए उपयोग में लाए जाने वाले डीजल पंपों में डीजल की खपत पर अनुदान देने का निर्णय से भी किसानों को लाभ होगा। सूखे के मौसम में पशुचारे का प्रबन्ध करना भी जरुरी होगा। सरकार ने दूरदर्शिता दिखाते हुए पशुचारे के उत्पादन पर अनुदान देने का ऐलान कर दिया है। सूखे से निपटने के मामले में सरकार ने जिस गंभीरता का परिचय दिया है उससे किसानों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ेगा और इसे हर हाल में कायम रखने की कोशिश उन अधिकारियों को करनी होगी जो किसानों और सरकार के बीच सेतु बनकर काम करते हैं। विभिन्न विभागों के साथ समन्वय बनाकर वे काम करें तो छोटी-मोटी समस्याओं से आसानी से निबटा जा सकता है। गांवों में बिजली आपूर्ति की स्थिति अब भी ठीक नहीं है। एक बार बिजली गुल हुई तो फिर कब आएगी, इसका ठिकाना नहीं रहता। ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले लाइनमैनों को ड्यूटी पर मुस्तैद रखने की जिम्मेदारी भी बिजली अधिकारियों को उठानी होगी। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था में सुधार लाने की दिशा में अनेक कार्य कराए हैं। नए सब स्टेशनों की स्थापना के साथ बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मर भी लगाए गए हैं। हालांकि अभी भी अपेक्षित सुधार के लिए काफी कुछ करना बाकी है। सबसे पहले उन गांवों को लक्ष्य करना होगा जहां बिजली तो पहुंचा दी गई है, लेकिन लाइनों का विस्तार नहीं किया गया है। गांवों में कम वोल्टेज के कारण मोटर पंप नहीं चलते। ऐसे गांवों में 24 घंटे बिजली दी भी जाए तो उसका किसान पूरा लाभ नहीं उठा सकते। राज्य में बिजली उत्पादन की स्थिति अच्छी है। राज्य बिजली की मांग अपने स्त्रोतों से पूरा करने में सक्षम है। ढांचागत विकास की दृष्टि से छत्तीसगढ़ अब अभावग्रस्त राज्य की अपनी पुरानी पहचान से काफी आगे निकल चुका है। सरकार ने 93 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करते हुए इन इलाकों लिए केन्द्र से सहायता मांगने का फैसला किया है। छत्तीसगढ़ अपनी विकास गतिविधियों के लिए देशव्यापी चर्चा में रहा है और केन्द्र से पूरी मदद मिली तो राज्य की सरकार सूखे के संकट से कारगर ढंग से निपट सकती है। इस प्रयास में सभी सरकारी विभागों को मिलकर काम करना होगा और किसानों की सहायता के लिए तत्पर रहना होगा।