पटना ! बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट कटने से वैसे तो सभी गठबंधन और पार्टियां अपने नेताओं के बागी तेवर से परेशान है लेकिन सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड (जदयू) और राज्य की सत्ता मे दो तिहाई बहुमत के साथ आने का सपना देख रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में यह समस्या अधिक विकट है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से महागठबंधन के उम्मीदवारों की घोषणा के कुछ घंटों के बाद ही टिकट से वंचित नेताओं ने पार्टी के खिलाफ बागी तेवर अपना लिया। टिकट काटे जाने से नाराज नीतीश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे रामधेनी सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। करगहर विधानसभा से विधायक श्री सिंह ने इस्तीफा देने के साथ ही समाजवादी पार्टी (सपा) की टिकट पर चुनाव अखाड़े में उतरने का भी संकेत दे दिया।
नीतीश कुमार के उम्मीदवारों की सूची जारी करते ही रामधनी सिंह के समर्थकों ने राजधनी के वीरपटेल चंद मार्ग स्थित पार्टी कार्यालय के सामने हंगामा शुरू कर दिया । कुछ तो पार्टी दफ्तर के सामने ही धरने पर बैठ गए। कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के खिलाफ ‘ तानाशाही नहीं चलेगी और नीतीश कुमार मुर्दाबाद’ के नारे लगाये। मामले की जानकारी मिलने के बाद पार्टी मुख्यालय पहुंची पुलिस की टीम ने स्थिति को किसी तरह नियंत्रित किया।
वहीं जदयू कार्यालय से कुछ कदमों की दूरी पर स्थित भाजपा कार्यालय के बाहर का माहौल भी ख़ास अलग नहीं था और अपने अपने नेताओं के टिकट काटे जाने से नाराज कार्यकर्ताओं ने पार्टी दफ्तर के मुख्य गेट का ताला तोड़ डाला। दफ्तर में घुसकर फर्नीचर तोड़ डाला। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी ने कैलाश पति मिश्र के योगदान को भूलकर उनकी बहू दिलमरणी देवी को टिकट नहीं दिया, जो सहन करने लायक बात नहीं है। श्रीमती दिलमरणी देवी बक्सर जिले के ब्रहमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इस बार भाजपा ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सी़ पी़ ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर को टिकट दिया है। किसी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस बल को बुलाना पड़ा जिसके बाद स्थिति नियंत्रित हो सकी।
यह काफी रोचक है कि अपने ही दल में बागियों की तपिश से परेशान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने प्रतिद्वंदी भाजपा पर इस मुद्दे पर हमला करने से नहीं चूक रहे। भाजपा की ओर से दिलमरणी देवी को टिकट नहीं देने जाने पर चुटकी लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भाजपा में समर्पित कार्यकर्ताओं को ठिकाने लगाने की कड़ी का अगला कदम भर है। उन्होंने कहा कि कैलाशपति मिश्र जैसे वरिष्ठ नेता के निधन के बाद उनकी बहू को टिकट नहीं दिया जाना पूरी तरह अन्याय है। बिहार विधान परिषद के अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता अवधेश नारायण सिंह भी अपने पुत्र को टिकट नहीं दिये जाने से नाराज चल रहे हैं।