नई दिल्ली ! दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच मतभेदों का हल निकालने की अपील की। केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा, "मुझे पता लगा है कि सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच मतभेदों के संबंध में जनहित याचिका दायर की गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी दिल्ली सरकार के संबंध में चिंता व्यक्त की है।"
केजरीवाल ने कहा, "मैं इससे सहमत हूं कि जनता के हित में हमें इन मतभेदों को सुलझा लेना चाहिए। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि इस दिशा में अतिरिक्त सहयोग के लिए तैयार हूं।"
सर्वोच्च न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई से तो इनकार कर दिया, लेकिन न्यायालय ने राज्य के मामले में गंभीर चिंता जरूर व्यक्त की है।
केजरीवाल ने अपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय का हवाला देते हुए कहा है, "यह प्रशासनिक कमी का मामला है। हम समझ सकते हैं कि एक तरफ केंद्र सरकार है और दूसरी ओर दिल्ली सरकार। इन समस्याओं को उनके अंत तक पहुंचाया जाना चाहिए। अगर कोई गलत आदेश पारित हुआ है तो हम उस पर विचार कर सकते हैं। अगर दोनों सरकारें आपसी मतभेद नहीं सुलझा पाती हैं और प्रशासनिक समस्याएं खड़ी करती हैं तो जनता सही समय पर सही फैसला सुनाएगी।"
केजरीवाल ने मोदी को लिखे अपने पत्र में आगे कहा है, "मैंने समस्या के समाधान के लिए अपनी ओर से सारी कोशिशें कीं। मैंने व्यक्तिगत तौर पर भारत सरकार के सभी संबद्ध मंत्रियों से मुलाकात की, दिल्ली के उप-राज्यपाल से मिला, यहां तक कि खुद आपसे (मोदी) और राष्ट्रपति के सामने एक-दो बार यह समस्याएं रखीं।"
शांति कायम करने की पेशकश रखते हुए केजरीवाल ने कहा, "मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि ऐसा कोई मुद्दा नहीं है जिसका दिल्ली की जनता के हित को देखते हुए दोनों समर्थ सरकारों द्वारा कोई हल न निकाला जा सके।"
केजरीवाल ने हालांकि लगे हाथ शिकायत भी की और कहा, "इससे पहले कभी भी दिल्ली की जनता द्वारा चुनी सरकार के किसी फैसले को उप-राज्यपाल या केंद्रीय गृह मंत्री ने अवैध करार दिया हो, उसे निरस्त या अप्रभावी कर दिया हो। इससे पहले कभी भी उप-राज्यपाल ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों को सीधे-सीधे ऐसे आदेश नहीं दिए हैं, जो दिल्ली सरकार के आदेशों के विरोधाभासी हों।"
केजरीवाल ने कहा, "पिछले छह महीनों में दिल्ली सरकार के कई आदेशों को उप-राज्यपाल ने अमान्य और अशक्त घोषित कर दिया।"