जब तक खेतों में फसल सूख नहीं जाती तब तक किसान यह उम्मीद लगाए रहता है कि उसके हाथ कुछ तो आएगा। छत्तीसगढ़ के दक्षिण में बस्तर तथा उससे लगे कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो लगभग पूरे प्रदेश में घोर अकाल की आशंका है। राज्य की 146 में से 93 तहसीलों को सरकार ने अभी से सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है। इससे स्थिति की भयावहता का अनुमान लगाया जा सकता है। उत्तर के इलाकों में स्थिति सबसे ज्यादा गंभीर है। इस इलाकों की अधिकतर तहसीलों में खेतों से फसल कटकर घर तक आने की भी कोई उम्मीद नहीं है। कोरिया जिले के खडगवां तहसील से वहां के प्रशासन ने जो आनावारी रिपोर्ट दी है उसके अनुसार वहां फसल की शून्य स्थिति बताई गई है। यानी फसल होगी ही नहीं। जिन 93 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है उनमें से अधिकतर में 80 फीसदी या उसे कम फसल होने की रिपोर्ट आई है। यह स्थिति तब है जब अभी धान से बालियां तक नहीं फूटी है। आने वाले 15 दिनों में भी बारिश नहीं हुई तो रही-सही उम्मीद भी जाती रहेगी। राज्य के 29 में से 20 जिले सूखे की चपेट में है। जो सात अन्य जिले हैं वे दक्षिण में बस्तर संभाग तथा उसके आसपास के हैं, जहां अपेक्षाकृत बारिश की स्थिति कुछ ठीक है। हालांकि वहां भी भरपूर पैदावार की कोई संभावना नहीं है। करीब एक महीने पहले तक सरकार को 46 तहसीलों में ही सूखे की स्थिति दिखाई दे रही थी और उसने इन तहसीलों में सूखे की स्थिति से निपटने की तैयारी कर रही थी कि अगले 15-20 दिनों में भी राज्य में अच्छी बारिश नहीं हुई और इन तहसीलों को मिलाकर 93 तहसीलों की स्थिति अत्यंत खराब हो गई। अगर आने वाले 15 दिनों में भी बारिश नहीं हुई तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। इस बात का खतरा भी है कि बची हुई 83 तहसीलों को भी कहीं सूखाग्रस्त घोषित करना न पड़ जाए। घोर अकाल की ऐसी आशंका छत्तीसगढ़ में पहली बार दिखाई पड़ रही है। लोग 1967 के अकाल की चर्चा करने लगे हैं जब पूरे देश में भीषण अकाल पड़ा था। चारे-पानी के अभाव में पशु तक काल-कवलित हो गए थे। इस बीच लगभग 5 दशक गुजरने वाले हैं अकाल की ऐसी आशंका दिखाई नहीं दी थी। अगर अभी भी अच्छी बारिश हो गई तो स्थिति कुछ संभल सकती है। मौसम विज्ञानी अगले दो-चार दिन में ऐसी कोई संभावना हालांकि नहीं देख रहे हैं। अगर स्थानीय प्रभाव से कहीं बारिश होती है तो वह सीमित क्षेत्र में होगी। पता चलता है कि एक मोहल्ले में बारिश हुई और पड़ोसी मुहल्ला सूखा रह गया। पूरे प्रदेश में अच्छी वर्षा के लिए मजबूत सिस्टम बनना आवश्यक है। महीने-डेढ़ महीने में ऐसा कोई सिस्टम नहंी बना और सूखे की स्थिति गंभीर हो गई। भादो के महीने में विशेषकर गणेश चतुर्थी के आसपास बारिश होती है, लोगों को एक उम्मीद अब भी है।