• जीएसटी व्यवस्था अगले वित्त वर्ष से

    हांगकांग ! केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को विश्वास व्यक्त किया कि प्रत्यक्ष कर से संबंधित मुद्दों पर विवाद के बाद भी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था अगले वित्त वर्ष से लागू हो जाएगी। जेटली ने सिंगापुर और हांगकांग की चार दिवसीय यात्रा के दूसरे पड़ाव पर यहां संवाददाताओं से कहा, "कांग्रेस नई कर व्यवस्था में देरी करने की कोशिश कर रही है। लेकिन इसे याद रखना चाहिए कि यह लेन-देन पर लगने वाला कर है, आयकर नहीं है।"...

    चीन की मुद्रा में किसी भी बदलाव का असर मुद्रा बाजार पर पड़ेगा "पूंजी की लागत अब भी काफी अधिक है महंगी पूंजी से कई क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं घरेलू निजी क्षेत्र से कम निवेश हो रहा है


    हांगकांग !   केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को विश्वास व्यक्त किया कि प्रत्यक्ष कर से संबंधित मुद्दों पर विवाद के बाद भी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था अगले वित्त वर्ष से लागू हो जाएगी। जेटली ने सिंगापुर और हांगकांग की चार दिवसीय यात्रा के दूसरे पड़ाव पर यहां संवाददाताओं से कहा, "कांग्रेस नई कर व्यवस्था में देरी करने की कोशिश कर रही है। लेकिन इसे याद रखना चाहिए कि यह लेन-देन पर लगने वाला कर है, आयकर नहीं है।" उन्होंने कहा कि संसद के अगले सत्र में जीएसटी के राज्यसभा में पारित हो जाने की उम्मीद है। जेटली ने हालांकि कहा कि इसे एक अप्रैल, 2016 से ही लागू करना जरूरी नहीं है। चूंकि यह लेन-देन पर लगने वाला कर है, इसलिए इसे किसी भी महीने की प्रथम तारीख से लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "इसे किसी भी महीने की प्रथम तारीख से लागू किया जा सकता है। एक अप्रैल से अधिक विलंब होने का मतलब यह नहीं है कि यह उससे अगले वर्ष के एक अप्रैल से लागू होगा। ऐसा सिर्फ आयकर के मामले में होता है।" पिछली तिथि के प्रभाव से लागू होने वाले कर और न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "भविष्य के लिए यह समाप्त किया जा चुका है। हस्तांतरण मूल्यांकन सुलझाया जा चुका है। ऐसा नहीं है कि हम इस पर सिर्फ बात कर रहे हैं। हम काम भी कर रहे हैं।" चीन की सुस्ती पर उन्होंने कहा कि इससे शेयर बाजार पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा, "चीन की मुद्रा में किसी भी बदलाव का असर मुद्रा बाजार पर पड़ेगा।" उन्होंने साथ ही कहा कि भारत में चीन से होने वाले निवेश का स्वागत है। उन्होंने कहा कि महंगी पूंजी से कई क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं और घरेलू निजी क्षेत्र से कम निवेश हो रहा है। जेटली ने कहा, "पूंजी की लागत अब भी काफी अधिक है। इसलिए यह अवसंरचना और विनिर्माण को प्रभावित कर रहा है। रियल्टी क्षेत्र पर इसका प्रभाव महसूस किया जा सकता है, जो देश में विकास का एक महत्वपूर्ण इंजन है।" भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा से उम्मीद के बारे में उन्होंने कहा, "इसे आरबीआई पर ही छोड़ देना चाहिए।" जेटली इस यात्रा में देश के लिए निवेश जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विवाद निपटान प्रक्रिया तेज करने के लिए सरकार ने एक नया कानून तैयार किया है, जिससे विवाद छह महीने में मध्यस्थता प्रक्रिया से सुलझ जाएगा। व्यापार की सुविधा से संबंधित विश्व बैंक की रैंकिंग में भारत के स्थान के बारे में जेटली ने कहा कि यह भविष्य में बेहतर होगा। गत वर्ष देश को इस सूची में 140वां स्थान मिला था। उन्होंने कहा, "व्यापार की सुविधा पर अब भी काम जारी है। काफी कुछ किया जाना है। निश्चित रूप से इस पर अनवरत काम करना होगा।"

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