‘प्रजा’ की हत्या का इल्जाम भी ‘राजा’ के सिर
-कुर्सी जाने का खतरा मंडराया, सरकार में मची खुसुर-फुसुर
-विवादों से छूट नहीं रहा पीछा
लखनऊ(देशबंधु) : उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भइया’ और विवादों का जैसे चोली-दामन का साथ हो चला है। एक इल्जाम से बरी होते हैं तो दूसरे में उलझ जाते हैं। डेढ़ साल पहले प्रतापगढ़ के कुंडा क्षेत्र में डिप्टी एसपी जियाउल हक की हत्या के जिस मामले में उन्हें अपना मंत्रीपद छोड़ना पड़ा था, उसी घटना में मारे गए अपने ही करीबी सुरेश यादव की हत्या का इल्जाम अब उनके गले की फांस बनता नजर आ रहा है। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने माना है कि सुरेश यादव की हत्या साजिशन की गई है और इस साजिश में राजा भइया और दूसरे कुछ लोग शामिल हो सकते हैं। मामला जिस तरह मोड़ ले रहा है, उससे इस बात की आशंका बलवती हो रही है कि राजा भइया को कहीं एक बार फिर मंत्री पद से हाथ न धोना पड़ जाए। सत्ता के गलियारे में इस पर खुसुर-फुसुर भी सुनाई पड़ रही है। अब इस बात पर निगाहें दौड़ाई जा रहीं हैं कि अदालत आगे क्या रुख अख्तियार करती है।
इस बीच जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने अपने मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को गलत करार देने का सुर तेज कर दिया है।
2 मार्च 2014 को एक घटनाक्रम में कुंडा क्षेत्र में तैनात डिप्टी एसपी जियाउल हक की हत्या कर दी गई थी। इसी घटना के दरम्यान सुरेश यादव की भी गोली लगने से मौत हुई थी। डिप्टी एसपी की हत्या का इल्जाम कुंडा के ही विधायक और प्रदेश सरकार में जेल एवं खाद्य रसद मंत्री राजा भइया पर आया। राजा भइया को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। जेल जाना पड़ा। उनकी खासी फजीहत हुई। घटना की सीबीआई जांच हुई। मामला हाई प्रोफाइल था। नेशनल मीडिया पर भी घटनाक्रम छाया रहा। सीबीआई ने जांच में राजा भइया को निर्दोष पाया और क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। राजा भइया कुछ दिनों बाद फिर अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए। जियाउल हक की पत्नी ने सीबीआई की रिपोर्ट को कभी सच नहीं माना। वह लगातार उसके खिलाफ जूझ रही हैं।
इसी बीच सुरेश यादव की हत्या का मामला भी सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में चलता रहा। स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में राजा भइया तथा उनके कुछ करीबियों को ही सुरेश यादव की हत्या की साजिश रचने का जिम्मेदार बता दिया। कोर्ट ने इस मामले में राजा भइया को तलब भी कर लिया है। अचानक बदले घटनाक्रम ने राजा समर्थकों और सरकार को भी सकते में ला दिया है। सरकार के कद्दावर मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा भी है कि हम इस पर नजर बनाए हुए हैं। अदालत का जैसा निर्देश होगा, उसी अनुरूप आगे कोई फैसला लिया जाएगा। राजा भइया के समर्थक मान रहे हैं कि इस मामले में कोई बात नहीं होने जा रही है। राजा भइया को मंत्रीपद नहीं छोड़ना पड़ेगा। वह निर्दोष हैं। सुरेश यादव के परिवार के लोगों ने राजा भइया के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं लिखाया है।
गौरतलब है कि 1993 से अब तक लगातार पांच बार विधायकी जीत चुके राजा भइया हमेशा निर्दल रहे हैं लेकिन भाजपा और सपा की जब जब सरकारें बनीं, उन्हें मंत्री पद सौंपा गया। जो कल्याण सिंह चुनाव में राजा भइया को ‘कुंडा का गुंडा’ कहते रहे, बाद में जरूरत पर अपने ही मंत्रिमंडल में शामिल किया। वह रामप्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव के मंत्रिमंडल के सदस्य थे। अब अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल में मंत्री हैं। वह सपा के मामूली सदस्य भी नहीं हैं लेकिन सात ठाकुर मंत्रियों के बावजूद सरकार का ठाकुर चेहरा वही हैं। कभी उम्र का विवाद तो कभी हत्या का विवाद राजा भइया की जिंदगी का हिस्सा बने रहे हैं। मायावती ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में राजा भइया इस कदर परेशान किया था कि अपनी जिंदगी शायद ही वह उस दौर को भूल पाएं। डिप्टी एसपी राम शिरोमणि पाण्डेय की मौत का घटनाक्रम भी राजा भइया के विरोधियों ने उन्हीं की साजिश का नतीजा मान रखा है। बहरहाल, सुरेश यादव हत्याकांड को लेकर लटकी इल्जाम की तलवार से राजा भइया कैसे बच पाएंगे, यह वक्त के हाथों है।
रतिभान त्रिपाठी