• बोतलबंद पानी भी सुरक्षित नहीं!

    सार्वजनिक नल-जल योजनाओं के पानी में कीड़े-केचुए निकलने की बात तो सुनी जाती रही है, लेकिन बोतलबंद पानी में सांप मिले तो उस वर्ग को सावधान हो जाना चाहिए जो बोतलबंद पानी को सबसे सुरक्षित मानता है। राज्य में सत्तारुढ़ भाजपा की एक अहम बैठक में परोसे गए बोतलबंद पानी में सांप तैरता हुआ पाया गया। ...

    सार्वजनिक नल-जल योजनाओं के पानी में कीड़े-केचुए निकलने की बात तो सुनी जाती रही है, लेकिन बोतलबंद पानी में सांप मिले तो उस वर्ग को सावधान हो जाना चाहिए जो बोतलबंद पानी को सबसे सुरक्षित मानता है। राज्य में सत्तारुढ़ भाजपा की एक अहम बैठक में परोसे गए बोतलबंद पानी में सांप तैरता हुआ पाया गया। जब से बोतलबंद पानी का चलन बढ़ा है, राज्य में भी इसकी कई नई इकाइयां खुल गई हैं। सफर पर निकले लोगों के हाथों में पानी की ये बोतलें फैशन की तरह चलन में आ गई हैं। लोगों ने घर से पानी लेकर निकलना बंद कर दिया है और बोतलबंद पानी का व्यवसाय निकल पड़ा है। लेकिन सेहत के लिए यह पानी कितना सुरक्षित है, इस पर शायद लोग अब गौर करें जब ऐसी किसी बोतल में सांप पाया जाए। इससे यह पता चलता है कि स्वच्छ पानी के नाम पर बोतलबंद पानी बेचने वाली इकाइयां उसे तैयार करने में किस हद तक लापरवाही बरत रही हैं। संदेह होता है कि जिस इकाई में यह बोतलबंद पानी तैयार किया गया, उसे इसका लाइसेन्स जारी करने वाली सरकारी एजेन्सी के अधिकारियों ने कभी इस बात की जांच भी की होगी या नहीं कि आखिर बोतलबंद पानी बेचने वाली इकाई उसे तैयार करते समय सारी सावधानियों पर गौर भी करता है। कोई कैसे यकीन करेगा कि जिस बोतलबंद पानी में सांप मिले उसे तैयार करने वाली इकाई का पानी आम लोगों के लिए सुरक्षित है। खास बात यह है कि ऐसी बोतल भाजपा की उस बैठक में पाई गई जिसमें मुख्यमंत्री समेत केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री व पार्टी के अन्य बड़े नेता बैठे थे। इस मामले में अब तक किसी गंभीर कार्रवाई के संकेत नहीं मिले हैं। कोई विभागीय जांच कराई जा रही है, इसकी भी जानकारी नहीं हैं। सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार राज्य में चल रही बोतलबंद पानी तैयार करने वाली दूसरी इकाइयों को भी होगा कि आखिर इस गंभीर लापरवाही के लिए संबंधित इकाई पर क्या कार्रवाई की जाती है। यह आम लोगों की सेहत से खिलवाड़ का मामला है। छत्तीसगढ़ में तैयार होने वाली चीजों की गुणवत्ता के मामले में पहली बार सबसे खतरनाक और गंभीर संदेश तो नसबंदी कांड के सिलसिले में गया जब यहां तैयार दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठे। राज्य में लोग निवेश करें, उद्योग-धंधे लगाएं, लेकिन उन्हें किसी की सेहत से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि इस प्रकार की इकाइयों पर तुरन्त प्रतिबंध लगाए और सरकारी एजेन्सियों को सामान्य उपभोग की चीजें तैयार करने वाली इकाइयों पर गुणवत्ता संबंधी जांच व निगरानी की प्रकिया को मजबूत बनाए। यदि कोई चीज छत्तीसगढ़ में बनी हो तो उसकी गुणवत्ता पर किसी तरह का संदेह न किया जा सके, ऐसी छवि राज्य की बननी चाहिए। बोतलबंद पानी में सांप मिलना तो बहुत बड़ी बात है।

अपनी राय दें