गरीबों तक पहुंचे अंतरिक्ष तकनीक का लाभ
नयी दिल्ली ! प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों से अपनी तकनीक का लाभ देश के गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचाने का आह्वान करते हुए आज कहा कि ‘स्पेस तकनीक’ और आम आदमी के बीच कोई ‘स्पेस’ नहीं रहना चाहिए। श्री मोदी ने प्रशासन और विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के यहां आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि तकनीक का लाभ कम से कम खर्च में देश के सबसे गरीब व्यक्ति तक पहुंचाना आज के दौर की सबसे बड़ी चुनौती है। तकनीक का इस्तेमाल आम आदमी की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए किया जाना चाहिए और इसके लिए सरकार के प्रयासों में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों का आह्वान करते हुए कहा कि वह ग्राम प्रधान से लेकर विधायक तक हर जन प्रतिनिधि को तकनीक की ताकत का परिचय कराएं और अपनी इस मुहिम में अधिक से अधिक छात्रों को जोड़ें। उन्होंने कहा कि सुशासन, पारदर्शिता, जवाबदेही और समय पर कार्य निष्पादन के लिए तकनीक बहुत जरूरी है। अगर सही योजना के साथ लक्ष्य निर्धारित किए जाएं तो तकनीक के माध्यम से परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इसके साथ एक सवाल हमेशा जुड़ा रहा है कि क्या एक गरीब देश को ऐसा कार्यक्रम चलाना चाहिए। यह सवाल लाजमी है लेकिन इसका जवाब महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई ने यह कहकर दिया था कि हम किसी के साथ स्पर्धा नहीं कर रहे हैं बल्कि अपने नागरिकों का जीवन बेहतर बनाने के लिए हर माध्यम का इस्तेमाल करना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज उपग्रहों के जरिए आम आदमी के जीवन में बदलाव हो रहा है। मध्य प्रदेश में आदिवासियों को उनकी जमीन का हक दिलाने का काम हो या फिर हरियाणा में मतदाता पहचान पत्र से जमीन के मालिकाना हक को जोड़ने की बात हो, अंतरिक्ष तकनीक से ही यह संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि दूरस्थ शिक्षा और टेलीमेडिसिन के क्षेत्र में यह तकनीक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। सीमा सुरक्षा और प्रधानमंत्री ग्रामीण सिंचाई योजना में भी इसकी भूमिका अहम हो सकती है।
श्री मोदी ने कहा कि अगर सड़कों के निर्माण में अंतरिक्ष तकनीक का सहारा लिया गया होता तो दशरथ मांझी को एक सड़क बनाने के लिए अपनी जिंदगी नहीं खपानी पड़ती। उन्होंने कहा कि राजमार्गों पर हो रहे अतिक्रमण की निगरानी और वन्यजीवों की जनगणना का काम भी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से संभव है। हर विभाग को छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए और फिर उन्हें पूरा करने के लिए अपने यहां उत्साही अधिकारियों की एक टीम बनानी चाहिए।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर संकल्प हो तो आप सीमित संसाधनों के बावजूद कमाल कर सकते हैं।
इस सम्मेलन का आयोजन सरकारी कामकाज और देश के विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर आधारित प्रणालियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए किया गया था
इसमें करीब 1500 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
सम्मेलन का उद्घाटन नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने किया। सम्मेलन में कुल नौ सत्र हुए जो कृषि, ऊर्जा और पर्यावरण, आधारभूत नियोजन, जल संसाधन, तकनीक संलयन, विकास नियोजन, संचार एवं दिशासूचक, मौसम एवं आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर आधारित थे।
इसके बाद अंतरिक्ष विभाग के सचिव किरण कुमार ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी योजना का खाका पेश किया।
प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष जून में श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में अपने संबोधन में अंतरिक्ष विभाग से सरकारी कामकाज और देश के विकास में अंतरिक्ष विज्ञान के अधिकतम इस्तेमाल की संभावनाएं तलाश करने को कहा था। उन्होंने आज कहा कि शायद यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में केंद्र और राज्यों के इतने अधिकारियों ने एक साथ एक विषय पर माथापच्ची की है।