इस्लामाबाद ! पाकिस्तान अफगानिस्तान के साथ व्यापार और पारगमन वार्ता फिर से शुरू करना चाहता है, लेकिन इसमें भारत को शामिल नहीं करना चाहता है। अफगानिस्तान हालांकि इसके लिए तैयार नहीं है। समाचार पत्र डॉन द्वारा रविवार को जारी एक रपट के मुताबिक, पाकिस्तान ने काबुल से द्विपक्षीय व्यापार वार्ता फिर से शुरू करने के लिए कहा है। पिछले कुछ महीनों में काबुल ने तीन प्रमुख व्यापार वार्ताएं रद्द कर दी हैं।
रपट के मुताबिक, पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय के एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, "हमने अफगानिस्तान से कहा है कि अपने द्विपक्षीय व्यापार और पारगमन वार्ताओं में हम भारत को बाहर रखना चाहते हैं।"
काबुल के साथ कई दौर की व्यापार वार्ता में शामिल रहे अधिकारी ने कहा कि यह संदेश अफगानिस्तान के नेताओं तक पहुंचा दिया गया है।
सूत्र ने कहा, "अफगानिस्तान का प्रस्ताव है कि बातचीत में भारत को भी शामिल किया जाए और इसके कारण कई द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं रद्द हो गई हैं।"
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि काबुल भारत के बिना पाकिस्तान के साथ व्यापार पर वार्ता नहीं करना चाहता है, जिसमें पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान त्रिपक्षीय वार्ता भी शामिल है।
सूत्र के मुताबिक, काबुल ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान पारगमन व्यापार समन्वय प्राधिकरण पर वार्ता टाल दी है। बैठक काबुल में होनी थी, जिसमें समझौते के कार्यान्वयन की स्थिति का जायजा लेना था।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त व्यापार परिषद गठित किया है।
सूत्र के मुताबिक, दोनों पक्षों ने परिषद के लिए सदस्यों की सूची की अदला-बदली कर ली है। परिषद की बैठक इस्लामाबाद में होनी थी, लेकिन काबुल तिथि पर सहमत नहीं हुआ।
सूत्र ने कहा, "अफगानिस्तान के कई मंत्रियों के साथ हमारी अच्छी बातचीत हुई है, लेकिन अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के साथ हुई बैठक में स्थिति बदल गई। हमें काबुल से निराश लौटना पड़ा।"
उल्लेखनीय है कि पहले अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने तीन साल में आपसी व्यापार को ढाई अरब डॉलर से बढ़ाकर पांच अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा था।