दुबई। सऊदी अरब के शाही शासन ने रविवार को ऐतिहासिक फैसला करते हुए देश की महिलाओं को पहली बार स्थानीय चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर खड़े होने की मंजूरी दे दी। मुस्लिम देश सऊदी अरब में महिलाओं पर वाहन चलाने पर प्रतिबंध, सिर से पैर तक बुर्के में ढके होने की बाध्यता आैर शादी, नौकरी एवं पासपोर्ट के लिए आवेदन देने से पहले पुरुष अभिभावक की अनुमति से लेकर कई किस्म के तमाम प्रतिबंध लगे हुए हैं। ऐसे में देश में महिलाओं को पहले मतदान आैर फिर चुनाव लड़ने की अनुमति देकर शासन ने ऐतिहासिक फैसला किया है।
देश में 12 दिसंबर को स्थानीय चुनाव होने वाले हैं। दिवंगत शाह अब्दुल्ला ने वर्ष 2011 में महिलाओं को 2015 तक मतदान और चुनाव लड़ने का अधिकार प्रदान करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दी थी। शासन को हालांकि अपने इस निर्णय के कारण कट्टरपंथी समूहों का विराेध झेलना पड़ रहा है। वहीं मानवाधिकार संगठनों ने यह कहकर इस निर्णय की आलोचना की है कि महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने के लिए केवल इतनी कोशिश काफी नहीं है।
मतदाता के तौर पर अपना पंजीकरण करा चुकी एक महिला ने चुनाव प्रक्रिया में महिलाओं की हिस्सेदारी को सकारात्मक कदम बताया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि महिलाओं की भागीदारी की राह में अब भी कई बाधाएं हैं। परिवहन की समस्या, किसी पुरुष अभिभावक से अनुमति लेकर काम करने की अनिवार्यता और ऐसी ही कई मुश्किलें अब भी हैं। शासन द्वारा वित्त पोषित अखबार ‘ अल हयात ’ ने इस माह बताया था कि लगभग 200 महिलाओं ने चुनाव में खड़े होने में रुचि दिखायी है। इसके लिए उम्मीदवारों का नामांकन 17 सितंबर तक होगा और मतदाताओं का पंजीकरण 14 सितंबर तक होगा। देश के 284 नगर निगम क्षेत्रों के 1263 मतदान केंद्रों में से 424 महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।