महमूदाबाद कोतवाली में हुई जीनत की मौत- पुलिस कसूरवार, सीबीआई जांच की मांग
रिहाई मंच ने जारी की महमूदाबाद कोतवाली में हुई जीनत मौत प्रकरण की जांच रिपोर्ट
पुलिस को ठहराया कसूरवार, प्रशासन की भूमिका पर सवाल
लखनऊ, 23 अगस्त 2015। रिहाई मंच ने 11 अगस्त 2015 को महमूदाबाद कोतवाली, सीतापुर में हुई 18 वर्षीय युवती जीनत की मौत प्रकरण पर अपनी जांच रिपोर्ट जारी करते हुए पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग की है।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि प्रथम दृष्टया की हत्या का मामला लगने वाली इस घटना में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है जिस पर जांच रिपोर्ट में आठ अहम सवालों के जरिए पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठाए गए हैं जिसमें पुलिस ने दावा किया था कि युवती ने आत्महत्या किया था।
जांच दल में मोहम्मद शुऐब, राजीव यादव, अनिल यादव, मसीहुदीन संजरी, शाहनवाज आलम, जियाउद्दीन, हरे राम मिश्र शामिल थे।
जांच रिपोर्ट में मौका मुआयना, आस-पास के लोगों की बातचीत, परिजनों का पक्ष, पुलिस अधिकारियों के बयानों, परिस्थितिजन्य तथ्यों के विश्लेषण, आला प्रशासनिक अधिकारियों के पक्ष, मीडिया रिपोर्टस् के आधार पर निष्कर्ष निकाले गए हैं।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कोतवाली के टॉयलेट में मिले जीनत के शव और उसके द्वारा 6 बजे से 6 बजकर 20 मिनट के बीच आत्महत्या करने के पुलिस के तथ्य को पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से आए सीएमओ सीतापुर के बयान कि पोस्टमार्टम जो कि 8 बजे रात से शुरू हुआ था, के 18 घंटे पहले उसकी मौत हो चुकी थी, खारिज कर देता है। तो वहीं जब पुलिस खुद कह रही है कि मृतका 5 बजकर 55 मिनट पर कोतवाली पहुंच गई थी तो 6 बजे मृतका के पिता द्वारा अपनी लड़की के बारे में कोतवाली में पूछने पर उसे कुछ न बताना और 6 बजकर 20 मिनट पर जब पुलिस ने लड़की की टॉयलेट में मौत हो जाने की पुष्टि की, उस वक्त भी मृतका के पिता, जो फिर वहां आए और उसके बाद 7 बजे तिबारा आए, तब भी उसके बारे में न बताना पुष्ट करता है कि पुलिस तथ्यों को मृतका के पिता से छुपा रही थी। तो वहीं पोस्टमार्टम के हवाले से मृतका की मौत जब लगभग दो से तीन बजे के बीच हो चुकी थी तो पुलिस की कहानी के पात्र चीनी मिल कर्मचारी अमर सिंह, वन विभाग चौकीदार यासीन, पुलिस सिपाही ब्रहृमदेव चौधरी, होमगार्ड रामइकबाल और कोतवाली में मौजूद चौकीदार शिवबालक और अपने को टॉयलेट में मृतका द्वारा फांसी लगाए जाने के बाद उसे देखने वाले प्रत्यक्षदर्शी कोतवाल रघुबीर सिंह समेत अन्य पुलिस वालों की कहानी पर सवाल उठ जाता है कि आखिर क्यों रात दो-तीन बजे के बीच हुई मौत को वे सब सुबह 6 बजे के तकरीबन बता रहे हैं या फिर उसकी कहानी बना रहे हैं।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच टीम को मालूम चली कही सुनी बातें कि लड़की रात दो-ढाई बजे के करीब थाने के गेट से बाहर नग्न अवस्था में भागने की कोशिश कर रही थी, जिसको चार-पांच पुलिस वाले पकड़कर कोतवाली के अंदर ले गए, की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मृतका की मौत का समय और उस टॉयलेट में मृतका द्वारा लगाई गई फांसी की पुलिस की झूठी कहानी, जिसमें फांसी लगाना कहीं से भी मुमकिन नहीं हो सकता, जहां पुलिस की पूरी कहानी पर सवाल उठाता है वहीं इस बात पर भी सवाल उठाता है कि रात में हुई मौत को आखिर पुलिस क्यों सुबह हुई मौत बता रही है। जबकि परिस्थितिजन्य साक्ष्य जीनत के साथ हुए बलात्कार और हत्या की ओर इंगित करते हैं। ऐसे में कोतवाली की पुलिस इस घटना में संलिप्त है वहीं इस घटना के इतने दिनों बाद भी जिला व प्रदेश स्तर पर शासन व प्रशासन स्तर पर पुलिस की कहानी को ही जबरन सच साबित करने की कोशिश हो रही हो तो राज्य की किसी भी एजेंसी द्वारा इस घटना की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि निष्पक्ष विवेचना न्याय का आधार होती है जिसको पाने का हक हर पीडि़त व इंसाफ मांगने वाले का हक है। उसी अधिकार के तहत हम मांग करते हैं कि इस घटना की सीबीआई जांच कराई जाए।