• उप्र में बढ़ रहा है विलुप्ति के कगार पर पहुंचा चुका सारस का कुनबा

    उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी सारस की संख्या बढ़ाने के लिए वन विभाग के प्रयास रंग ला रहे हैं। प्रदेश के वेटलैंड में पिछले दिनों सारस के कुनबे में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सारस संरक्षण के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान के कारण महज एक साल में सारस के कुनबे में 938 नए सदस्य जुड़ गए हैं। सारस की तेजी से बढ़ रही संख्या से वन विभाग के आला अफसर गदगद हैं।...

    विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुका है सारस का कुनबा

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी सारस की संख्या बढ़ाने के लिए वन विभाग के प्रयास रंग ला रहे हैं। प्रदेश के वेटलैंड में पिछले दिनों सारस के कुनबे में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सारस संरक्षण के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान के कारण महज एक साल में सारस के कुनबे में 938 नए सदस्य जुड़ गए हैं। सारस की तेजी से बढ़ रही संख्या से वन विभाग के आला अफसर गदगद हैं।

    वन विभाग सारस व अन्य प्रजातियों की हर साल गणना कराता है। प्रदेश में वर्ष 2015 की गणना में राज्य पक्षी सारस के लिए अच्छी खबर है।

    प्रमुख वन संरक्षक डॉ. रूपक डे ने बताया कि प्रदेश में सारस की संख्या बढ़ाने के लिए वन विभाग ने सारस प्रोटेक्शन सोसाइटी गठित की है। यह सोसाइटी इस अद्भुत प्रजाति के संरक्षण के लिए ठोस उपाय कर रही है।


    इस साल जनपद में सारस की संख्या बढ़कर 13,300 हो गई है। इस संख्या में सारस इसी सीजन में पैदा होने वाले नवजात शामिल नहीं है। पिछले साल की गणना में राजधानी के वेटलैंड में सारस की संख्या 12,362 थी। प्रेम और सौहार्द का प्रतीक माना जाने वाला पक्षी सारस को किसानों का मित्र माना जाता है। यह पक्षी जलीय पौधों, कीट व कृषि को हानि पहुचाने वाले छोटे जीवों को कम करने में मदद करता है।

    प्रदेश की वेटलैंड कम होने तथा उनमें प्रदूषण होने, कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग जैसे कारणों से यह पक्षी हालांकि विलुप्ति के कगार पर पहुंचा चुका है।

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