अलीगढ ! अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के राजीव गांधी सेटर फॉर डायबिटीज एण्ड इंडोकिरोनोलोजी सेटर के निदेशक और प्रख्यात डायबिटीज रोग विशेषज्ञ रप्रोफेसर जमाल अहमद ने कहा है कि भारत मे डायबिटीज .मधुमेह. महामारी का रू प धारण करती जा रही है और हर तीन सेकेड मे एक रोगी की मृत्यु होती है। प्रो.अहमद ने आज यहां विश्व डायबिटीज दिवस की पूर्व संध्या परं आयोजित एक समारोह मे यह बात कही। उन्होने कहा कि अगर लोगो ने अगर समय रहते अपनी जीवनशैली और खानपान मे परिवर्तन नहीं किया तो इस बीमारी को काबू करना कठिन होगा। उन्होने कहा कि फेडरिक बैटिंग ने चाल्र्स बेस्ट के साथ मिलकर डायबिटीज रोगियो के लिए इंसुलिन का अविष्कार किया था। श्री जमाल ने कहा है कि विकासशील देशो मे लगभग 170 प्रतिशत डायबिटीज के रोगी बढे है जबकि विकसित देशो मे इनकी संख्या 40 प्रतिशत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्षा 2004 मे यह बात कही थी कि सन2030 तक विश्व मे डायबिटिक रोगियो की संख्या 360 मिलिनयन तक पहुंच जाएगी लेकिन यह आंकडा वर्षा 2011 मे ही पार कर गया। उन्होने कहा कि वर्षा 2030 मे अब डायबिटीज से पीडित रोगियो की संख्या 552 मिलियन तक पहुंच जाएगी 1प्रो.अहमद ने कहा कि भारत मे वर्तमान मे 64.1 मिलियन डायबिटिक रोगी है जिसके चलते इससे पीडित लोग अंधता और पैर के घाव से भी पीडित है। डायबिटीज के चलते तीन लोगो मे से एक व्यक्ति डायलेसिस द्वारा उपचार करा रहा है और इनमे 80 प्रतिशत लोगो की हृदय रोग के कारण मृत्यु हो जाती है। हर तीन सेकेड के बाद डायबिटिक से एक रोगी मौत का शिकार हो जाता है। उन्होने कहा कि डायबिटीज पर अभी तक पूर्ण रू प से नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। मौजूदा समय में यह चिंता का विषय है कि भारत मे 70 मिलियन लोगों को डायबिटिज होने की संभावना है जो भविष्य मे डायबिटीज का शिकार हो सकते है। उन्होने कहा कि ऐसे लोगो को जीवनशैली और खानपान मे बदलाव लाकर मीठे का कम प्रयोग. चिकनाई युक्त भोजन से परहेज तथा शराब व धूम्रपान को त्याग कर और तनावमुक्त रहकर डायबिटिक होने से बच सकते है। प्रो.अहमद उन्होंने कहा कि हालांकि डायबिटीज इलाज मे आधुनिक चिकित्सा उपलब्ध हुई है लेकिन अभी इस क्षेत्र मे बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है। प्रो. अहमद ने कहा कि डायबिटिक रोगियो की संख्या मे बढोतरी का एक कारण अनुवांशिक. स्थानबद्ध खानपान. मोटापा . शहरीकरण तथा जीवन शैली मे बदलाव भी है। उन्होने कहा कि चार से पांच किलो मीटर प्रतिदिन पैदल चलकर तथा खानपान मे एहतियात बरतकर इस रोग पर नियंत्रण पा सकते है। उन्होने कहा कि गेहूं. जौ और चने से बनी रोटी इस्तेमाल. फलियां. हरी पत्तेदार सब्जियां. दही. सलाद तथा फल का प्रयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए तथा आलू चावल और डबल रोटी. जंक फूड से परहेज करना चाहिए। उन्होने कहा कि टहलने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए तथा मक्खन. डालडा तथा अन्य चिकनाई युक्त पदार्थों एवं नमक का कम मात्रा मे सेवन करना चाहिए। डा. अमहद का कहना है कि अगर बच्चा कमजोरी थकान तथा वजन के कम होने और भूख मे कमी आने से ग्रस्त है। ऐसी स्थिति मे उसका ब्लड शुगर का परीक्षण करना चाहिए। उन्होने बताया कि डायबिटिज से ग्रस्त बच्चो के लिए जेएन मेडिकल कॉलेज के डायबिटिक सेटर मे डायबिटिज इंडिया इनेशेटिव द्वारा नि:शुल्क इंसुलिन विशेष रू प से 21 वर्षा आयु तक की लडकियो को उपलब्ध करायी जा रही है।