• बुजुर्गों को पिछले एक साल से नहीं मिली है पेंशन

    नई दिल्ली ! एक ओर राजधानी में अंतरराष्टï्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस की धूम है तो दूसरी ओर इन वरिष्ठ नागरिकों की सुध लेने वाला ही कोई नहीं है। दिल्ली सरकार और तीनों निगमों के बीच चल रही राजनीतिक रस्साकशी का ख़ामियाजा भी इन वरिष्ठों को भुगतना पड़ रहा है।...

    नई दिल्ली !  एक ओर राजधानी में अंतरराष्टï्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस की धूम है तो दूसरी ओर इन वरिष्ठ नागरिकों की सुध लेने वाला ही कोई नहीं है। दिल्ली सरकार और तीनों निगमों के बीच चल रही राजनीतिक रस्साकशी का ख़ामियाजा भी इन वरिष्ठों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले एक साल से करीब सवा दो लाख बुजुर्ग अपनी मासिक पेंशन के लिए दर-दर भटक रहे हैं। पूर्वी दिल्ली के  40 हजार, दक्षिणी दिल्ली और उत्तरी दिल्ली के  80-80 हजार लोगों को निगम द्वारा बुजुर्ग पेंशन दी जानी है। हालात ये हो गए हैं कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पेंशन धारक बुजर्गों को नियमित तौर पर मिल रही पेंशन राशि का भुगतान महज इसलिए रोक दिया गया क्योंकि बाकी अन्य दोनो निगम पेंशन देने में असमर्थ है।  अंतरराष्टï्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस के मौके पर भी कई बुजुर्ग निगम के क्षेत्रीय कार्यालयों व पार्षद कार्यालयों में आए और पेंशन के बारे में पूछ कर निराश ही लौट गए। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है यह सिलसिला पिछले एक साल से भी अधिक से चल रहा है। तीनों नगर निगमों में करीब एक साल से किसी भी बुजुर्ग को पेंशन नहीं दी गई है। पिछले एक साल से लगातार निगम पार्षद के कार्यालय में जा रहे हैैं एक पेंशनधारी बुजुर्ग ने बताया कि इस दौरान उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। उनके पास उनके इलाज के लिए भी पैसे नहीं है। उन्हें खर्चे के लिए औरों पर आश्रित होना पड़ रहा है। उम्र के आखिरी पड़ाव में इस तरह भटकना और अपमानित होना पड़ रहा है। एक अन्य बुजुर्ग महिला ने बताया कि निगम से पहले एक हजार रुपए मिल जाया करते थे तो उससे बचा कर अपने पोते को भी कुछ खरीद कर दे दिया करती थी, अब मुझे अपने लिए कुछ खरीदने के लिए भी पोते और बेटे का मुंह देखना पड़ रहा है। निगम कार्यालय जाने के लिए रिक्शे का किराया भी मांग कर ही चुकाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ लोग ऐसे भी हैैं जिनके बेटे नहीं है उनके लिए तो यह और भी मुश्किल की घड़ी है।  उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर रविन्द्र गुप्ता ने बताया कि पेंशन मामले पर अदालत का भी दरवाजा खटखटाया गया है। उन्होंने कहा कि निगम आयुक्त से कहा गया है कि वो दिल्ली उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखे ताकि दिल्ली सरकार इस मामले में कोई कदम उठाए। महापौर ने बताया कि विधवा व वृद्धा पेंशन न देने के संदर्भ में किसी याचिकाकर्ता द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा राजनीतिक द्वेष से ग्रस्त होकर ग्लोबल शेयर, म्यूनिसिपल रिफॉर्म, शिक्षा क्षेत्र में मिलने वाली वैधानिक राशि में कटौती करके निगम की वित्तीय स्थिति को कमजोर करने के प्रयासों से भी उच्च न्यायालय को अवगत कराया  जाना चाहिए। साथ ही जिस, स्थापित वैधानिक प्रक्रिया के तहत निगम को हिस्सा मिलना चाहिए उस प्रक्रिया को भी उच्च न्यायालय के समक्ष स्पष्ट किया जाना चाहिए ताकि न्यायालय को निर्णय लेते समय वास्तविकता की उचित जानकारी उपलब्ध रहे।


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