रायपुर ! केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि नए भूमि अधिग्रहण कानून से नक्सलियों के जंगल जमीन से जुड़े उठाए जाने मुद्दे असरहीन होगे जिससे नक्सलवाद का प्रभाव भी धीरे धीरे कम होगा। श्री रमेश ने आज यहां संसद में हाल ही में पारित भूमि अधिग्रहण कानून की जानकारी देने के लिए आहूत प्रेस कान्प्रेंस में कहा कि जंगल जमीन को लेकर आदिवासी इलाकों में नक्सली अपना प्रभाव बनाने में सफल हुए है। राय सरकारों द्वारा इस कानून को सही ढग से लागू किए जाने पर नक्सलियों के जंगल जमीन से जुडे मुद्दे प्रभावहीन होंगे। उन्होने कहा कि भूमि अधिग्रहण पुनर्वासन तथा पुनर्व्यवस्थापन विधेयक के नियम अगले दो माह में तैयार हो जायेगे और इसके बाद ही यह प्रभावी हो जायेगा। उन्होने कहा कि अधिग्रहण कानून संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है। राय सरकारे इसमें किए गए प्रावधानों में कमी नही कर सकती है लेकिन मुआवजे एवं पुनर्वासन के प्रावधानों में इजाफा करने की उन्हे छूट है। केन्द्र कानून के अनुपालन पर निगरानी भी रख सकती है। उन्होने कहा कि नया कानून छत्तीसगढ के लिए काफी अहम है। इसमे जिन क्षेत्रों में पांचवी अनुसूची लागू है वहां पर बगैर ग्रामसभा की लिखित अनुमति के कोई अधिग्रहण नही होगा। इसके साथ ही मुआवजे में ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुना तथा शहरी क्षेत्रों में मुआवजे में दोगुना का इजाफा किया गया है। श्री रमेश ने कहा कि पुराने कानून में आपात कारणों का उल्लेख कर भूमि अधिग्रहण के प्रावधान का बहुत दुरूपयोग हुआ और किसानों की भूमि अधिग्रहित कर निजी लोगों, बिल्डरों को आवासीय कालोनी एवं तथा माल आदि के निर्माण के लिए दे दी गई। आपात कारणों को नए कानून में बहुत सीमित कर दिया गया है। अबकेवल राष्ट्रीय सुरक्षा एवं प्राकृतिक आपदा में ही आपात प्रावधान लागू होगे। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के कई पुराने मामलों में भी नए कानून के प्रावधानों का किसानों को लाभ मिलेगा। पुराने कानून के तहत जिन भूमि अधिग्रहण के मामलों में अवार्ड घोषित नही हुआ है या जहां अवार्ड पांच वर्ष पूर्व घोषित हुआ पर कब्जा नही लिया गया एवं राशि का भुगतान नही हुआ या फिर जहां बहुमत के आधार पर पिछले पांच वर्षो से किसानों ने मुआवजा नही लिया है वहां अब नए कानून के अनुसार मुआवजा लागू होगा। उन्होने कहा कि पूर्व कानून के तहत जमीन अधिग्रहण के बाद भी जिस उद्देश्य से भूमि अधिग्रहित हुई थी काम नही होता था।नए कानून में पांच वर्ष तक काम नही होने पर जमीन को किसानों को लौटाने का प्रावधान किया गया है। उन्होने कहा कि सार्वजनिक उपयोग के लिए भी अधिग्रहित भूमि पर बगैर पुनर्वासन प्रक्रिया शुरू किए कोई काम नही हो सकेगा। इस कानून में दलितों और आदिवासियों के लोगों के हितों की सुरक्षा के लिए काफी प्रावधान किए गए है। उन्होने भूमि अधिग्रहण कानून को यूपीए सरकार की ओर से किसानों के लिए एक बडी सौगात बताते हुए कहा कि यह उनके लिए दूरगामी लाभ वाला होगा। इस मौके पर उन्होने भाजपा द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के पद का उम्मीदवार घोषित करने समेत किसी राजनीतिक प्रश्न का उत्तर देने से साफ मना कर दिया।