बाबासाहब आंबेडकर कुछ और साल जीवित रहते तो देश की तस्वीर बदली होती: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि अगर सरदार वल्लभभाई पटेल और बाबासाहब भीमराव आंबेडकर कुछ और साल जीवित रहे होते तो देश विकास की नयी ऊंचाइयों पर काफी पहले ही पहुंच गया होता
डभोई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि अगर सरदार वल्लभभाई पटेल और बाबासाहब भीमराव आंबेडकर कुछ और साल जीवित रहे होते तो देश विकास की नयी ऊंचाइयों पर काफी पहले ही पहुंच गया होता।
मोदी ने पास ही केवडिया में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के लोकार्पण के बाद यहां आयोजित विशाल जनसभा में कहा कि दीर्घद्रष्टा सरदार पटेल ने इस डैम का सपना मेरे जन्म के पहले ही देखा था।
मै बडे विश्वास के साथ कहना चाहता हूं स्वर्गीय पटेल और स्वर्गीय आंबेडकर जैसे दो महापुरूष अगर कुछ और साल जीवित रहे होते तो सरदार सरोवर डैम 60-70 के ही दशक में पूरा होकर पश्चिम के सारे राज्यों को हरा भरा कर चुका होता।
देश के अर्थतंत्र को एक सामर्थ्य मिला होता। अांबेडकर ने मंत्री के तौर पर अपने थोडे ही समय के काल में जल क्रांति के लिए जितनी योजनाएं बनायी थी वह शायद ही किसी ने किया हो।
अगर दोनो कुछ साल ज्यादा जीवित रहते और हमे उनकी सेवाओं का लाभ कुछ वर्ष अधिक मिला होता तो आज बाढ के कारण जो तबाही हो रही है या सूखे से किसान के मरने जैसी समस्याएं नहीं होती। इनसे देश कब का बाहर निकल आता और देश विकास की नयी ऊंचाइयों को कब का पार कर जाता। पर दुर्भाग्य से हमने उन्हें थोडा पहले खो दिया।
कांग्रेस सरकारों पर परोक्ष आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि देश को जोडने वाले तथा कश्मीर के इसमें विलय कराने वाले महापुरूष श्री पटेल को आजादी के बाद उस तरह पेश नहीं किया जा सका जैसे उन्हें किया जाना चाहिए था। उनके बारे में आने वाली पीढी को जानकारी के अपने परम कर्तव्य के तहत मैने उनके नाम से अमेरिका की स्टेच्यू आॅफ लिबर्टी से दोगुनी ऊंची उनकी प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की शुरूआत की।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आजादी की लडायी में योगदान देने वाले अनगिनत आदिवासियों को भुला दिया गया है तथा ऐसा प्रचारित किया गया है कि मानो मुट्ठी भर लोगों ने ही आजादी दिलायी है।
आजादी का असली इतिहास भुला दिया गया है और कुछ लोगों के ही गीत गाये गये हैं। आदिवासियों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और उनमें बहुत से फांसी पर भी लटकाये गये।
भावी पीढी को उनकी भूमिका से अवगत कराने के लिए राज्यों में उनके डिजीटल और अाधुनिक संग्रहालय बनेंगे जिसकी शुरूआत आज उन्होंने गुजरात से की है। मोदी ने अपने खास लहजे में कहा कि 182 फुट ऊंची विशाल प्रतिमा का काम उन्होंने इसलिए शुरू किया क्योंकि उन्हें छोटे काम नहीं जमते।
उन्होंने कहा कि 125 करोड लोगों के देश के नेता के तौर पर छोटे सपने देखने का उनको हक भी नहीं। इस अवसर पर उन्होंने सरदार सराेवर परियोजना के बारे में दुष्प्रचार के चलते विश्व बैंक के इसके लिए धन देने से मना करने के बावजूद संकल्प और जनता की मदद से इसे पूरा करने की चर्चा की।
उन्होंने यह भी कहा कि इसमें अडचन डालने वालों और मुसीबतें पैदा करने वाला का पूरा कच्चा चिट्ठा उनके पास है पर वह इसको लेकर राजनीति नहीं करना चाहते।
हालांकि इस योजना पर तभी काम हुआ जब ऐसा दल सत्ता में था जो पार्टी से बडा देश को मानता था। इसके पूरा होने से पटेल की आत्मा तथा पानी के लिए दूर दूर जाने वाली माताएं और पशु तक आशीर्वाद दे रहे हैं।
तरसती धरती मां की प्यास बुझाने और मां नर्मदा के लिए कुछा करना मेरे लिए भावुकता से भरा है। मै जन्मदिन नहीं मनाता पर आज इस योजना का लोकार्पण कर मुझे अभूतपूर्व खुशी मिली है।
उन्होंने जन्मदिन की शुभकामना देने वालों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि वह देश के लिए जियेंगे और इसके लिए ही खपेंगे। आजादी के 75 वें साल तक देश को नया भारत बनाने में कोई कमी नहीं करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के पश्चिमी राज्य पानी के लिए तरसते हैं जबकि पूर्वी राज्यों के लिए बिजली और गैस की उपलब्धता समस्या है। उनकी सरकार दोनो को ध्यान में रख कर देश के संतुलित विकास के एजेंडे पर चल रही है।
सरदार सरोवर परियोजना के तहत भारत पाक सीमा पर 700 किमी दूर बीएसएफ के कैंप तक 60 मंजिल तक पानी उठा कर पहुंचाया गया है। यह इंजीनियरिंग की दृष्टि से एक चमत्कार है जिसका पाठ्यक्रमों में अध्ययन होना चाहिए।
इस योजना के लिए गुजरात के मंदिरों ने भी धन दिया था। इस योजना में इतना कंक्रीट लगा है जितने में कश्मीर से कन्याकुमारी और कंडला से कोहिमा तक आठ मीटर चौडी सीमेंट की सडक तैयार की जा सकती है।
इस योजना के पूरा होने के लिए मध्य प्रदेश ओर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और जनता का भी आभार। इससे राजस्थान को भी लाभ होगा। साथ ही अनगिनत आदिवासियों के त्याग का भी इसमें भारी योगदान है। उनकी सरकार देश भर में आजादी की लडाई में योगदान देने वाले आदिवासियों के संग्रहालय तैयार करेगी।
उन्होंने कहा कि नर्मदा परियोजना, डैम का काम पूरा होने तथा पास में साधु बेट पर बनने वाले स्टेच्यू आॅफ यूनिटी और अन्य परियोजनाओं से मध्य गुजरात का आदिवासी बहुल इलाका आने वाले समय में एक बडे पर्यटन केंद्र में परिवर्तित हो जायेगा जहां प्रतिदिन लाखों पर्यटक आयेंगे और इस क्षेत्र के लोगों का विकास हो सकेगा।
राज्य के अन्य हिस्सों में पहले से ही पर्यटन आकर्षण मौजूद है। सदियो पहले बने ताजमहल के जरिये देश में पर्यटकों को आज भी आकर्षित किया जाता है पर इन परियोजनाओं से नया पर्यटक आकर्षण तैयार होगा।


