शत प्रतिशत पानी का भराव, वेस्टवियर से छोड़ा गया पानी,फिलहाल खतरे की कोई आशंका नहींबिलासपुर ! एक सप्ताह तक लगातार हुई झमाझम बारिश से क्षेत्र के तमाम छोटे-बड़े जलाशय शतप्रतिशत भर गए हैं। खारंग (खूटाघाट) ज लाशय में बुधवार की सुबह निर्धारित क्षमता में भराव के बाद वेस्टवियर खोल दिए गए। अतिरिक्त पानी वेस्ट वियर से खारंग नदी में जा रहा है। इसी तरह घोंघा जलाशय में भी पानी शत प्रतिशत भराव के बाद कल शाम 6 बजे वेस्टवियर खोल दिया गया। खुडिया (संजयगांधी जलाशय) में एक पखवाड़ा पहले ही शत प्रतिशत पानी का भराव हो चुका है। जलसंसाधन विभाग के मुताबिक बांधों में भरपूर मात्रा में पानी होने और वेस्टवियर खोल देने के बाद खतरे जैसे कोई बात नहीं है।करीब 90 वर्ष पुराने खारंग जलाशय में बुधवार को सुबह 8 बजे शत प्रतिशत पानी का भराव हो जाने के बाद अतिरिक्त पानी के लिए वेस्ट वियर को खोलना पड़ा। अतिरिक्त पानी वेस्टवियर से खारंग नदी में जाकर मिल जाएगा।लगभग एक लाख 20 हजार एकड़ क्षेत्र में फैले खारंग जलाशय में पानी की निर्धारित क्षमत 192 मिलियन घन मीटर है। दो वर्ष पूर्व जिला प्रशासन, जलसंसाधन विभाग की पहल पर खारंग जलाशय से शिल्ट निकालने वृहद पैमाने पर जनसहयोग के माध्यम से अभियान चलाया गया था मस्तूरी के विधायक डा. कृष्णमूर्ति बांधी का मस्तूरी क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ शिल्ड निकालने में अहम भूमिका रही। तब मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह स्वयं खारंग जलाशय आकर अभियान को देख सराहना की थी। इस अभियान का रिजल्ट दूसरे ही वर्ष देखने को मिला। पिछले वर्ष करीब 13 बरस बाद 7 सितम्बर 11 को खारंग जलाशय में शत प्रतिशत पानी का भराव हो सका मगर इस वर्ष 15 दिन पहले ही बुधवार 22 अगस्त को सुबह आठ बजे खारंग जलाशय से पानी छलकने लगा तब अतिरिक्त पानी को बाहर करने वेस्ट वियर खोला गया। इसी प्रकार 30 मिलियन घन मीटर पानी की क्षमता वाले घोंघा जलाशय में भी शतप्रशित पानी का भराव 21 अगस्त की शाम को हो गया। घोंघा जलाशय में भी अतिरिक्त पानी निकालने वेस्ट वियर खोला जा चुका है। लगातार बारिश ने इस वर्ष बांधों को लबालब कर दिया है। अविभाजित जिले का एक और बांध खुड़िया जो अब मुंगेली जिल में है में भी पानी निर्धारित क्षमता को पार कर दिया है। ब्रिटिश कालीन खुड़िया बांध में 149 मिलियन घन मीटर पानी की क्षमता है। बांध में शतप्रतिशत पानी एक पखवाड़ा पहले ही हो चुका है। दो दशक पहले खुड़िया बांध में पानी लबालब हो जाने से सीपेज की स्थिति आ गई थी तब बांध के फूट जाने की अफवाह फैल गई थी। उस समय रेत से भरी बोरियों की ढेरी लगाकर सीपेज पर काबू पाया गया था। बांधों में पानी के पूर्ण रूपेण भराव और उसके बाद वेस्ट वियर खोले जाने से किसी प्रकार के खतरे या बाढ़ से इंकार करते हुए खारंग जलसंसाधन संभाग के कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल का कहना था कि वेस्टवियर के माध्यम से पानी खारंग नदी में जाकर मिल जाएगा इससे किसी भी प्रकार के खतरे की कोई संभावना नहीं है। हमने खारंग जलाशय में निर्धारित मात्रा में पानी के एकत्र होने के तुरंत बाद वेस्टवियर को खोल दिया ताकि अतिरिक्त पानी बिना देर किए बांध से बाहर हो जाए।लगातार बारिश से क्षेत्रों में भी पानी लबालब है और बांध के पानी की जरूरत नहीं है इसलिए नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया है जबकि 8, 10 साल पहले स्थिति यह रहती थी कि वर्षोभाव के कारण नहरों से छोड़ा गया पानी नहर के अंतिम छोर तक के खेतों में बिना किसी बाधा के पहुुंचे इसके लिए जलसंसाधन विभाग के इंजीनियर से लेकर टाइमकीपर तक रात-रात भर नहरों में गश्त किया करते थे। खेतों में नहर से पानी पलोने के विवाद में हत्यायें तक हो जाती थी। नगर के अंतिम छोर के खेतों तक पानी पहुंच ही नहीं पाता था। पिछले कई वर्ष से इस तरह की नौबत नहीं आ रही है। तब बांधों में पानी भी कम रहता था। पिछले दो साल से तो बांधों में पानी भरपूर मात्रा में है और ग्रीष्मकालीन धान की फसल को सिंचित करने बांधों से पानी देने में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है।