• पुत्र की जिंदगी बचाने चंदा जुटा रही मां

    संतान के प्रति मां की ममता का अनुमान लगाना मुश्किल है। ...

    इटारसी !  संतान के प्रति मां की ममता का अनुमान लगाना मुश्किल है। वह अपनी संतान की जिंदगी बचाने के लिए कुछ भी कर सकती है, जिसे देखकर किसी की भी आंखें नम हो जाएं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, न्यूयार्ड निवासी रेलवे कर्मचारी सिध्दार्थ वाहने की पत्नी श्रीमती किरण वाहने अपने इकलौते बच्चे के इलाज के लिए मदद की आस में घर-घर जाकर एक-एक रुपए इकट्ठा कर रही है। न्यूयार्ड स्थित डबल स्टोरी निवासी सिध्दार्थ वाहने का 16 वर्षीय पुत्र सौरभ बचपन से ही सिकल सेल्स थैलीसीमिया बीमारी से पीड़ित है। इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे बच्चे के इलाज में माता-पिता ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन उसकी बीमारी इस स्टेज पर पहुंच चुकी है कि उसके इलाज में पंद्रह लाख रुपए से भी अधिक लग सकते हैं, लेकिन इस मध्यमवर्गीय परिवार के लिए इतनी बड़ी राशि जुटाना मुश्किल हो गया है। चिकित्सकों ने रेलवे कर्मचारी सिध्दार्थ और उसकी पत्नी किरण वाहने को उनके पुत्र की जिंदगी बचाने के लिए पंद्रह लाख रुपए का खर्चा बताया है, लेकिन यह परिवार इतनी बड़ी राशि जुटाने असमर्थ है। यह उनकी बेबसी बयां कर रही है। फिर भी मां अपने बच्चे के इलाज के लिए रुपए जुटाने भरसक प्रयास कर रही है और उम्मीद की आस लेकर वह घर-घर जाकर बच्चे के इलाज के लिए रुपए इकट्ठा कर रही है। जब इस संदर्भ में श्रीमती वाहने से बातचीत की तो उन्होंने अपनी बेबसी जाहिर की। उन्होंने बताया कि उनका पुत्र अभी नागपुर के सरस्वती हास्पिटल में डॉ. मिलिन्द्र माने की देखरेख में भर्ती है। यदि उसका इलाज शीघ्र नहीं हो पाया तो उसकी जिदंगी को खतरा हो सकता है। ऐसा भी नहीं है कि बालक का उपचार रेलवे द्वारा नहीं किया जा रहा, लेकिन रेलवे का प्रोसेस और इलाज के लिए लगन वाले समय के अंतराल को देखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया है। चंदे के लिए अकेली निकली श्रीमती वाहने के सहयोग के लिए अब अंबेडकर इंडियन क्लब भी सामने आया है और उनके साथ चंदा एकत्रित करने में पूरा सहयोग दे रहा है। श्रीमती वाहने के अनुसार, कल से शुरू हुए इस कार्य में अब तक लगभग दस हजार रुपए ही एकत्रित हुए हैं, लेकिन इतनी बड़ी राशि एकत्रित करना टेढ़ी खीर साबित हो रही है, जिसे देखते हुए इस बेबस मां ने समाजसेवी संस्थाओं और संगठन से मदद की गुहार लगाई है।

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