• छत्तीसगढ़ में बिजली संकट,दो इकाईयां ठप

    भीषण गर्मी में प्रदेश के कोरबा ईस्ट की इकाईयों से विद्युत उत्पादन ठप हो गया है।...

    रायपुर । भीषण गर्मी में प्रदेश के कोरबा ईस्ट की इकाईयों से विद्युत उत्पादन ठप हो गया है।


     एक इकाई को पॉवर कंपनी ने वार्षिक संधारण के नाम पर बंद कर दिया है, वहीं 120 मेगावॉट की एक इकाई बायलर टयूब लिकेज के कारण बंद हो गई। यह इकाई विगत दो दिनों से बंद है, जो कल तक चालू होने की संभावना है। भीषण गर्मी में संधारण कार्य एवं संयंत्र के फेल होने से प्रदेश में भीषण बिजली संकट की स्थिति है, जिसे अघोषित कटौती एवं निजी उत्पादकों से महंगी बिजली खरीदकर कुछ हद तक कम किया जा रहा है।समूचे भारत सहित छत्तीसगढ़ में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है, जिसके चलते सभी राज्यों में बिजली की मांग बढ़ गई है। छत्तीसगढ़ में इन दिनों बिजली की मांग 2850 से 2900 मेगावॉट तक जा पहुंची है। पॉवर कंपनी के पास थर्मल प्रोजेक्ट से केवल 1780 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है, वहीं एनटीपीसी से केन्द्रीय कोटे से 560 मेगावॉट बिजली मिल रही है, इसमें भी कमी होती रहती है। आज केन्द्रीय कोटे से मात्र 451 मेगावॉट बिजली मिली, वहीं कोरबा ईस्ट की 120 मेगावॉट की इकाई विगत दो दिनों से टयूब लिकेज के चलते बंद पड़ी है। इसके बायलर में पेंचअप वर्क किया जाना है, जो अब तक नहीं हो पाया है। वहीं पॉवर कंपनी प्रबंधन ने कोरबा ईस्ट की ही 50 मेगावॉट वाली एक इकाई को संधारण के नाम पर बंद कर दिया है, जिससे कंपनी का स्वयं का उत्पादन 1780 मेगावॉट से घटकर मात्र 1610 मेगावॉट रह गया। वहीं 120 मेगावॉट हाईडल प्रोजेक्टों से कभी-कभार मिल जाता है। आज दोपहर प्रदेश में विद्युत की मांग 2300 मेगावॉट थी। इस प्रकार केन्द्रीय कोटे की 451 मेगावॉट सहित निजी उत्पादकों की बिजली से काम चलाया गया। सूत्रों ने बताया कि शाम को इसमें 600 मेगावॉट की वृध्दि हुई, जिसके चलते केन्द्रीय कोटे से ओवर ड्राल सहित जिंदल, बाल्को एवं बीएसपी की बिजली सहित हरियाणा, राजस्थान एवं जम्मू से बिजली लेनी पड़ी। पॉवर कंपनी द्वारा प्रदेश में आपूर्ति बनाए रखने 8.50 से 9 रुपए यूनिट की दर से निजी उत्पादकों से बिजली खरीदी जा रही है, जिससे कंपनी को रोजाना लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। ऐसे में प्रदेश के विद्युत संयंत्रों को वार्षिक रख-रखाव के लिए बंद किया जाना एवं बंद यूनिट को 2-3 दिनों में भी सुधार नहीं पाना निजी उत्पादकों को लाभ पहुंचाने का सबसे बड़ा प्रमाण है। चूंकि पीक आवर्स में बिजली की कीमतें काफी अधिक होती हैं एवं पॉवर कंपनी ऐसे समय में ही 500 से 600 मेगावॉट बिजली की खरीदी कर रहा है, जो कंपनी में किए जा रहे भ्रष्टाचार बड़ा प्रमाण है। विगत दो दिनाें से 120 मेगावॉट का संयंत्र बंद पड़ा हुआ, जिसकी भनक अधिकारियों ने किसी को नहीं लगने दी। मई माह में संयंत्र फेल होने की यह पहली घटना नहीं है, इसके पूर्व भी कंपनी के 3-4 संयंत्र इसी माह 1-2 दिन के लिए बंद हो चुके हैं। कंपनी के संयंत्रों का लगातार फेल होना जांच का विषय है, फिर ऐसे समय में संधारण कार्य किया जाना एक विचारणीय मामला है। जबकि इस संबंध में ऊर्जा सचिव अमन सिंह अधिकारियों की बैठक लेकर फिलहाल वार्षिक संधारण कार्य नहीं किए जाने के आदेश दे चुके हैं।एनटीपीसी से महंगी पॉवर कंपनी की बिजली2-3 वर्ष पूर्व तक सबसे सस्ती बिजली और सबसे कम उत्पादन लागत वाली बिजली की दुहाई देने वाले प्रदेश में बिजली का हाल बेहाल होता जा रहा है। एनटीपीसी से मिलने वाले बिजली का प्रति यूनिट दर जहां 1.76 रुपए है, वहीं पॉवर जनरेशन कंपनी अपने ही प्रदेश की बिजली कंपनी को 1.96 रुपए यूनिट की दर से दे रहा है। वहीं हाल में ही बिजली दर में वृध्दि कर प्रदेश में बिजली सस्ती होने के दावों को भी वितरण कंपनी ने तोड़ दिया है।

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