• 34 साल की नौकरी के बाद भी शिक्षक को समयमान वेतन नहीं

    बिलासपुर। जिला महासमुंंद निवासी बसंत कुमार राणा की वर्ष 1982 में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी। लगभग 33 वर्ष की सेवा के पश्चात् वर्ष 2015 में उनका उच्च वर्ग शिक्षक के पद पर प्रमोशन किया गया। ...

    34 साल की नौकरी के बाद भी शिक्षक को समयमान वेतन नहीं
    34 साल की नौकरी के बाद भी शिक्षक को समयमान वेतन नहीं

    बिलासपुर।  जिला महासमुंंद निवासी बसंत कुमार राणा की वर्ष 1982 में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी। लगभग 33 वर्ष की सेवा के पश्चात् वर्ष 2015 में उनका उच्च वर्ग शिक्षक के पद पर प्रमोशन किया गया। बसंत राणा द्वारा शिक्षा विभाग में लगभग 34 वर्ष सेवा देने के पश्चात भी विभाग द्वारा उन्हें समयमान वेतनमान ना दिये जाने से क्षुब्ध होकर बसंत राणा द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।

    अधिवक्ता द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि छ.ग.शासन वित्त विभाग द्वारा दिनांक 28 अप्रैल 2008 को जारी सर्कुलर के मुताबिक सभी शासकीय सेवकों को सेवा में 10 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने पर प्रथम समयमान वेतनमान एवं अगले 10 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने पर द्वितीय समयमान वेतनमान दिये जाने का प्रावधान किया गया है परंतु सचिव शिक्षा विभाग द्वारा उक्त सर्कुलर का उल्लंघन करते हुए याचिकर्ता को एक समयमान वेतनमान का लाभ भी प्रदान नहीं किया गया है।


    जबकि छ.ग.शासन द्वारा जारी सर्कुलर में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जिन शासकीय सेवकों को एक, दो अथवा दो से अधिक प्रमोशन मिला हो उन्हें समयमान वेतनमान की पात्रता होगी, परंतु याचिकाकर्ता के मामले में उसे समयमान वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया है। उच्च न्यायालय द्वारा उक्त मामले की सुनवाई के पश्चात सचिव एव संचालक शिक्षा विभाग को नोटस जारी कर तत्काल जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

अपनी राय दें