• मुख्य सचिव की नियुक्ति सरकार का विशेषाधिकार : उच्च न्यायालय

    लखनऊ ! उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन के सेवा विस्तार के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर तथा पूर्व आईपीएस अफसर जुलियो रिबेरो की अलग-अलग याचिका को बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने खारिज कर दिया।...

    मुख्य सचिव की नियुक्ति सरकार का विशेषाधिकार : उच्च न्यायालय

    लखनऊ !   उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन के सेवा विस्तार के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर तथा पूर्व आईपीएस अफसर जुलियो रिबेरो की अलग-अलग याचिका को बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने खारिज कर दिया।   न्यायालय ने नूतन और जुलिओ रिबेरो पर 25,000 रुपये प्रति व्यक्ति का जुर्माना भी लगाया है। साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि मुख्य सचिव की नियुक्ति सरकार का विशेषाधिकार है। न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और न्यायाधीश राकेश श्रीवास्तव की पीठ ने दोनों याची के अधिवक्ता के साथ महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह और केंद्र सरकार के अधिवक्ता सूर्यभान पांडेय की दलील सुनने के बाद इसे मुख्य रूप से पोषणीयता के आधार पर खारिज किया कि प्रकरण किसी प्रभावित पक्ष द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया था। न्यायालय ने कहा कि यह सही है कि आलोक रंजन को सेवा विस्तार देते समय उनके खिलाफ सीबीआई द्वारा नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लि. (नाफेड) के एमडी के रूप में दायर मुकदमा न्यायालय में विचाराधीन था पर मात्र आपराधिक मुकदमे के कारण किसी मुख्य सचिव के सेवा विस्तार को नहीं रोका जा सकता है यदि पहले उनकी नियुक्ति में यह बाधा नहीं रही हो। न्यायालय ने कहा कि मुख्य सचिव का सेवा विस्तार पूर्णतया सेवा संबंधी मामला है जो राज्य सरकार और केंद्र सरकार से संबंधित है। यह जनहित याचिका का विषय नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि इस मामले में जनहित याचिका दायर नहीं हो सकती थी, अत: नूतन ने प्रभावित पक्ष के रूप में मुकदमा किया।


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