मुंबई ! उद्योगपति साइरस पी. मिस्त्री ने मंगलवार को टाटा संस के अध्यक्ष पद से निकाले जाने के बाद इसके खिलाफ अदालत में किसी प्रकार की कैवियट याचिका दाखिल करने से इनकार किया। उनके कार्यालय की तरफ से कहा गया, "साइरस (मिस्त्री) कोई कैवियट दाखिल नहीं करने जा रहे हैं। उन्होंने पहले ही बयान दे दिया है कि इस स्तर पर ऐसी बातें भ्रामक हैं।"
कैवियट याचिका कानूनी कार्रवाई की संभावना को देखते हुए अधिसूचित किए जाने के लिए दाखिल की जाती है।
उनके कार्यालय ने कहा कि टाटाओं ने साइरस मिस्त्री द्वारा कानूनी कार्रवाई के डर से कैवियट याचिका दाखिल की है।
इससे पहले मंगलवार को शापूरजी पालोन जी समूह ने कहा कि वह इस अप्रत्याशित कॉरपोरेट तख्तापलट की 'परिस्थिति का अध्ययन' कर रही है।
मिस्त्री ने हालांकि आधिकारिक रूप से इस पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके अगले कदम को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।
शापूरजी पालोनजी समूह के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, "न तो एसपी समूह और न ही साइरस मिस्त्री ने अभी तक कोई बयान दिया है। फिलहाल परिस्थितियों का अध्ययन किया जा रहा है। इस स्तर पर मीडिया द्वारा मुकदमेबाजी की अटकलें लगाने का कोई आधार नहीं है।"
कंपनी ने कहा कि जब जरूरी होगा तब इस पर बयान जारी किया जाएगा।
एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में टाटा संस समूह ने सोमवार को घोषणा की कि कंपनी बोर्ड ने मिस्त्री की जगह रतन एन. टाटा को कंपनी का अंतरिम अध्यक्ष चुना है।
बोर्ड ने इसके अलावा नए अध्यक्ष की खोज के लिए एक चयन समिति का गठन किया है, जिसमें रतन एन. टाटा, वेणु श्रीनिवासन, अमित चंद्रा, रोनेन सेन और लार्ड कुमार भट्टाचार्य शामिल हैं। यह समिति कंपनी के नियमानुसार चार माह में अध्यक्ष का चयन कर लेगी।
48 वर्षीय मिस्त्री आयरलैंड के निवासी हैं और चार साल पहले दिसंबर 2012 में वे टाटा संस के अध्यक्ष बने थे।