• देखरेख के अभाव में उधड़ने लगा मरीन ड्राइव

    रायगढ़। कुछ साल पहले प्रशासनिक अधिकारियों के चश्मे से नगरवासियों ने भी मुंबई की चौपार्टी की तर्ज पर रायगढ़ में भी चौपाटी और सुंदर मरीन ड्राईव का सपना देखा था। शहरवासियों के सपने के अनुरूप चौपाटी तो कभी विकसित नही हो सकी वहीं अब तो मरीन ड्राईव भी लापरवाही, उदासीनता और देखरेख के अभाव में अस्त-व्यस्त होकर उधड़ने लगा है। ...

    देखरेख के अभाव में उधड़ने लगा मरीन ड्राइव
    देखरेख के अभाव में उधड़ने लगा मरीन ड्राइव

    रायगढ़। कुछ साल पहले प्रशासनिक अधिकारियों के चश्मे से नगरवासियों ने भी मुंबई की चौपार्टी की तर्ज पर रायगढ़ में भी चौपाटी और सुंदर मरीन ड्राईव का सपना देखा था। शहरवासियों के सपने के अनुरूप चौपाटी तो कभी विकसित नही हो सकी वहीं अब तो मरीन ड्राईव भी लापरवाही, उदासीनता और देखरेख के अभाव में अस्त-व्यस्त होकर उधड़ने लगा है। विडंबना तो यह है कि कमोवेश नये पुराने तीनों मरीन ड्राईव की यही स्थिति है। 

    रायगढ़ शहर के भीतर केलो नदी के किनारे जिंदल के सीएसआर मद से मरीन ड्राईव का निर्माण कराया गया है इसी तरह चक्रपथ के आगे शहीद भगतसिंह सेतु से एसईसीएल कार्यालय तक एसईसीएल द्वारा नया मरीन ड्राईव निर्माण कराया गया है जबकि सर्किट हाउस रपटा से नये शनि मंदिर तक निर्माणाधीन एक और नया मरीन ड्राईव सीएसआर मद के अभाव में वर्षो से आधा अधूरा पड़ा है।

    पूर्व कलेक्टर मुकेश बंसल के कार्यकाल के दौरान इसके निर्माण में काफी तेजी देखी गई थी। मगर उनके यहां से जाते ही काम कछुआ गति से चलने लगा और अब तो फंड के अभाव में यहां का काम महीनों से अधूरा पड़ा है। सड़क आधा-अधूरा बना है तो रोड़ डिवाइडर पर फूल पौधों की जगह खरपतवारों ने जगह बना ली है।

    नदी किनारे के लोहे के रेलिंग चोरी हो रहें है तो खंबो से स्ट्रीट लाईट गायब है, कुल मिलाकर यहां चौपाटी बसाने का सपना भी ठंडे बस्ते में चला गया है। कुछ ऐसा ही हाल एसईसीएल मरीन ड्राईव का है जहां साफ-सुथरी और अच्छी सड़क के बावजूद जहां पुल के नीचे मलबा डालकर मार्ग का अवरूद्ध किया जा रहा है तो मार्ग पर आगे सुलभ के सामने गंदगी का साम्राज्य स्थापित है थोड़ा आगे निकलने पर सिटी बस का डिपो भी बंद है और उजाड पड़ा है तथा मार्ग पर गंदगी और बदबू का साम्राज्य है जिससे राहगीर और मोहल्लेवासी त्रस्त है।


    सबसे बुरा हाल तो शहर के सबसे पुराने मरीन ड्राईव का है जहां लापरवाही, अनदेखी और देखरेख के अभाव में यह उपयोगी मरीन ड्राईव भी उधड़ने लगा है। विदित रहे कि यह मार्ग बोईरदादर चक्रधर नगर  और कलेक्टोरेट सहित आधे शहर को सर्किट हाउस उर्दना रोड से जोड़ता है सिर्फ यही नही कभी-कभी तो यह रास्ता वैकल्पिक वीआईपी मार्ग के रूप में भी उपयोग होता आया है मगर रात के समय तथा तड़के सुबह चोरी छिपे भारी वाहनों की आवाजाही के कारण यह रास्ता अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है।

     सड़क पर बडे-बडे गड्ढे बन गये है और अस्त-व्यस्त है जिसके कारण इस मार्ग पर जहां बारिश में पानी भर जाता है कि बाकी के दिनों में धूल धक्कड और प्रदूषण के साथ-साथ राहगीर विशेषकर बाईक सवार रोज छोटी-मोटी दुर्घटना का शिकार हो रहें है। चाहे नगर निगम हो या संबंधित उद्योग यदि समय रहते इस उपयोगी मरीन ड्राईव के रख-रखाव व जीर्णोद्धार पर ध्यान नही दिया गया तो आने वाले समय में यह मार्ग चलने के लायक भी नही बचेगा। 

     

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