महिला स्व-सहायता समूहों की भागीदारी से उत्साह: रावत
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि उत्तराखंड के आर्थिक विकास का नया सोपान महिला स्व-सहायता समूहों, महिला मंगल दलों, आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ताओं और भोजनमाताओं की सहभागिता से तय किया जा रहा है तथा महिला स्वयं सहायता समूहों के सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
रावत ने परेड ग्राउन्ड में आयोजित हिमान्या सरस मेला को संबोधित करते हुए कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों की बढ़ती भागीदारी से राज्य सरकार बहुत उत्साहित है। चमोली एवं देहरादून में महिला हाट स्थापित करने के लिए बजट जारी किया जा चुका है। ऐसे हाट प्रत्येक जिले में स्थापित किए जाएंगे।
इंदिरा अम्मा कैंटीन फूड सेक्टर में महिलाओं को प्रोत्साहित किए जाने की योजना है। राज्य में 100 इंदिरा अम्मा कैंटीन स्थापित की जाएंगी तथा अभी तक 20 से अधिक कैंटीन स्थापित की जा चुकी हैं। उन्होंने ‘‘मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तिकरण योजना’’ के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को सीड केपिटल एवं सामुदायिक निवेश निधि के तहत सहायता राशि के चैक वितरित किए।
विभिन्न जिलों के महिला स्वयं सहायता समूहों को 5 हजार रूपए की सीड केपिटल व 20 हजार रूपए की सामुदायिक निवेश निधि के चैक प्रदान किए गए। उन्होंने कहा कि इस तरह की योजना बनाई जा रही है कि महिला स्वयं सहायता समूहों को पुराने ऋण से मुक्ति मिल सके। राज्य ब्याज उपादान योजना के तहत जिन महिला स्वयं सहायता समूहों के बैंक ऋण 31 दिसम्बर 2013 तक एनपीए हो गए थे, यदि ऐसे समूह काम करना चाहते हैं और मूलधन की राशि देते हैं तो एनपीए होने के दिनंाक से वर्तमान समय तक का ब्याज राज्य सरकार वहन करेगी।
अच्छा काम करने वाले व समय पर ऋण की वापसी करने वाले महिला स्वयं सहायता समूहों को 3 प्रतिशत तक ब्याज सब्सिडी राज्य सरकार देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों को उनके वार्षिक टर्नओवर पर 5 प्रतिशत बोनस जबकि आपदाग्रस्त जिलों में 10 प्रतिशत बोनस दिया जाएगा।
अपने खेतों में काम करने वाली महिलाएं मनरेगा श्रमिक के रूप में पंजीकरण करवा सकती है। महिलाओं में एनिमिया एवं ल्यूकेरिया की रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर अभियान प्रारम्भ किया गया है। महिला उद्यमिता पार्क के लिए सिडकुल में 200 एकड़ भूमि की व्यवस्था की गई है।