रांची | झारखंड में भाजपा के नेतृत्व वाली रघुवर दास सरकार के भूमि कानूनों में संशोधन और 55 दिनों के भीतर पुलिस गोलीबारी की तीन घटनाओं के विरोध में विपक्ष द्वारा आहूत बंद के कारण सोमवार को सभी स्कूल, कॉलेज और दुकानें बंद रहीं। राज्य में 12 घंटे के बंद को लेकर रांची में भारी सुरक्षा के इंतजाम किए गए। विपक्षी नेताओं और हड़ताल समर्थकों के सड़कों पर प्रदर्शन करने के दौरान हिरासत में ले लिया गया।
खूंटी और हजारीबाग में पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी। इन दोनों जिलों में पुलिस गोलीबारी की घटनाओं में तीन स्कूली बच्चों सहित कम से से कम सात लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हुए हैं। खूंटी में प्रदर्शनकारियों ने डीसी एसपी और जिला जज के आवास पर पथराव किया।
सुबह से शाम तक बंद के आह्वान पर स्कूल, कॉलेज, शैक्षिक संस्थान, व्यापारिक प्रतिष्ठान और दुकानें रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, बोकारो, धनबाद और दूसरे जिले में बंद रहे। राज्यभर में एकजुट विपक्ष के करीब 2000 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।
ज्यादा दूरी वाले रास्तों पर बसों की आवाजाही बंद रही। बंद के शुरुआती घंटों में कुछ वाहन जरूर चलते दिखे।
कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने रांची-पटना राजमार्ग और दूसरे राष्ट्रीय और राज्य मार्गो पर यातायात को बाधित करने का प्रयास किया।
रांची में पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय और दूसरों को भी हिरासत में लिया गया।
सहाय ने संवाददाताओं से कहा, "पूरे झारखंड ने बंद का सर्वसम्मति से समर्थन किया है। पुलिस की गोलीबारी मुख्यमंत्री रघुवर दास के तानाशाही भरे रवैये का नतीजा।"
सहाय ने कहा, "हम पुलिस गोलीबारी की तीनों घटनाओं की न्यायिक जांच की मांग दुहराते हैं। वे 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम से जमीन का अधिग्रहण कर सकते हैं, लेकिन रघुवर सरकार जबरन जमीन का अधिग्रहण करने कोशिश में है।"
मरांडी ने कहा, "राज्य सरकार अपने लोगों की जान और जमीन ले रही है। इसलिए अब लोग सरकार की नीतियों के विरोध में सड़कों पर उतर रहे हैं।"
बंद का आह्वान संयुक्त रूप से झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल द्वारा किया गया था। इसका झारखंड मुक्ति मोर्चा, भाकपा और माकपा ने समर्थन किया था।
विपक्षी पार्टियां, राज्य सरकार द्वारा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी) में अध्यादेश के जरिए संशोधन करने का विरोध कर रही है।
वे पुलिस की गोलीबारी की तीन घटनाओं पर भी आक्रोश जता रही हैं, इसमें हजारीबाग जिले के बरकागांव की घटना भी शामिल है।