• रामगोपाल ने फिर फोड़ा चिट्ठी बम, पार्टी टूट के कगार पर

    सपा महासचिव और सांसद रामगोपाल यादव ने पत्र लिखकर उन लोगों पर भी हमला बोला है, जो मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश यादव में सुलह कराने की कोशिश में हैं।...

    रामगोपाल ने फिर फोड़ा चिट्ठी बम, पार्टी टूट के कगार पर

    रामगोपाल ने फिर फोड़ा चिट्ठी बम, पार्टी टूट के कगार पर

    लखनऊ 23 अक्टूबर। समाजवादी पार्टी (सपा) में चल रही घमासान के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा आज बुलायी गयी विधानमंडल दल की बैठक और रामगोपाल यादव के पत्र से साफ है कि पार्टी अब टूट के कगार पर पहुंच गयी है।

    सपा महासचिव और सांसद रामगोपाल यादव ने पत्र लिखकर उन लोगों पर भी हमला बोला है, जो मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश यादव में सुलह कराने की कोशिश में हैं।

    श्री यादव ने अपने पत्र में लिखा है कि जो लोग सुलह कराने में लगे हैं वे जनता को गुमराह कर रहे हैं।

    इस चिट्ठी में रामगोपाल यादव ने लिखा है कि सुलह की कोशिश अखिलेश की यात्रा रोकने की साजिश है. कार्यकर्ता अखिलेश के साथ जुटें. अखिलेश विरोधी विधानसभा नहीं पहुंच पाएंगे।

    रामगोपाल ने साथ ही लिखा है कि अखिलेश की यात्रा विरोधियों के गले की फांस बन गई है. मध्यस्थता करने वाले दिग्भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. जहां अखिलेश हैं, जीत वहीं है.

    रामगोपाल की चिट्ठी की खास बातें


    रामगोपाल यादव ने लिखा है कि हम चाहते हैं कि राज्य में समाजवादियों की सरकार बने जबकि वो यानि ( परोक्षतः मुलायम, शिवपाल और उनके समर्थक) चाहते हैं कि हर हाल में अखिलेश चुनाव हारें. हमारी सोच पॉजिटिव है, जबकि उनकी सोच नेगेटिव है.

    रामगोपाल ने लिखा है कि अखिलेश के साथ वो लोग हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए खून पसीना बहाया है, अपमान सहा है, जबकि उधर के लोग वो हैं, जिन्होने हजारों रुपया कमाया है, व्यभिचार किया है और सत्ता का दुरूपयोग किया है.

    पहले मुलायम को लिखी चिट्ठी

    रामगोपाल ने इससे पहले मुलायम सिंह को भी एक चिट्ठी लिखी थी। 

    चिट्ठी में लिखा है कि अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे नहीं करना अखिलेश को कमजोर करना होगा। ऐसा करना पार्टी के लिए बड़ा नुकसानदायक साबित हो सकता है.

    रामगोपाल यादव ने अपने पत्र में आगे लिखा कि इस समय अखिलेश को आपके मजबूत साथ की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अखिलेश को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे नहीं करने से कार्यकर्ताओं और पार्टी कैडर में कन्फ्युजन फैलेगा जो हित में नहीं है।

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