नई दिल्ली ! भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर ने देश के विदेशी निवेश के भविष्य को बढ़ावा देने के लिए शुक्रवार को अत्याधुनिक मध्यस्थता व्यवस्था का आह्वान किया। भारत में मध्यस्थता व प्रवर्तन को मजबूती प्रदान करने की दिशा में राष्ट्रीय पहल पर तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन में न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि कानूनी पर्यटन को आकर्षित करने के लिए मध्यस्थता के अनुकूल माहौल जरूरी है।
उन्होंने कहा, "संस्थानिक मध्यस्थता को बढ़ावा देने से भारत को मध्यस्थता संबंधी न्याय निर्णयन के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभरने में मदद मिलेगी। अध्ययनों से पता चला है कि विदेशी निवेशक उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत को विदेशी निवेश के लिए पसंदीदा गंतव्य मानते हैं।"
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "देश में निवेश का भविष्य बेहद आशाजनक दिखता है, बशर्ते हम विदेशी निवेशक साझेदारों को विवादों का संतोषजनक समाधान मुहैया कराएं।"
उन्होंने कहा कि मध्यस्थता संबंधी निर्णयों की दिशा में विधायी समर्थन तथा न्यायिक सम्मान की मदद से अत्याधुनिक मध्यस्थता व्यवस्था अपनाकर भारत इस उपलब्धि को हासिल कर सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि मध्यस्थता संबंधी निर्णयों में भारतीय न्यायालयों के दखल की धारणा तेजी से बदल रही है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "पिछले कुछ महीनों में यह धारणा बन गई है कि इस देश में न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र में जितना दखल देता है, उससे कहीं ज्यादा दखल मध्यस्थता के फैसलों में देता है। यह धारण बहुत ज्यादा समय तक नहीं बनी रहनी चाहिए और भारत को मध्यस्थता के अनुकूल गंतव्य बनाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "भारत को कानूनी पर्यटन को आकर्षित करने के लिए अपनी वैश्विक पहुंच में विस्तार करने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता।"