• आज भी विकास से कोसों दूर है गांव कोरियादादर

    रायगढ़। रायगढ़ शहर से लगे हुए ग्राम कोरियादार के ग्रामीण आज भी अपने गांव के विकास की बाट जोहते हुए अपने गांव के विकास का सपना संयोग हुए उस दिन का इंतजार कर रहें है जब उनकी मूलभूत समस्याओं का निदान हो सके।...

    आज भी विकास से कोसों दूर है गांव कोरियादादर
    आज भी विकास से कोसों दूर है गांव कोरियादादर

    रायगढ़।  रायगढ़ शहर से लगे हुए ग्राम कोरियादार के ग्रामीण आज भी अपने गांव के विकास की बाट जोहते हुए अपने गांव के विकास का सपना संयोग हुए उस दिन का इंतजार कर रहें है जब उनकी मूलभूत समस्याओं का निदान हो सके। कहनें को तो प्रशासन के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सरकारी सुविधा के लाभ पहुंचाने के लाख दावे किये जाते है।

    लेकिन उनके दावे उस वक्त खोखले साबित हो गये जब हमारी टीम ग्राम कोरियादार का नजारा देखा तो पता चला वाकई इस गांव में अब तक विकास के नाम पर कुछ नही हुआ। ऐसा नही है कि ग्रामीणों के द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों या फिर जिला प्रशासन को इन सब जानकारी नही है परंतु चुने हुए जनप्रतिनिधी भी इस ओर ध्यान नही देते तो वहीं जिला प्रशासन ग्रामीणों की इन मूलभूत समस्याओं ने इस ओर ध्यान देना ही बंद कर दिया है और जिला प्रशासन ने तो इस गांव में कभी आकर यह तक नही देखा है कि गांव में रहने वाले लोग आज भी किस कदर अपना जीवन गुजर बसर कर रहें है। परेशान ग्रामीण विकास की बाट जोहते-जोहते इस कदर थक गये है उन्हें अब कोई गिला सिकवा किसी के सामने नही करना है।

    चूंकि वे समझ चुकें है कि ऐन चुनाव के समय विकास का नारा लेकर गांव में पहुंचने वाले नेता और अधिकारी वहां नही पहुंचेंगे।   रायगढ़ शहर से लगे हुए ग्राम कोरियादादर की  शहर से दूरी मात्र 5 किलोमीटर की है लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि शहर के इतने नजदीक के गांव में विकास के नाम पर कुछ हुआ ही नही तो शहर से दूरस्थ अंचलों के गांवों का हाल क्या होगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

    एक जानकारी के अनुसार ग्राम कोरियादादर में 700 परिवार निवासरत   है और वहां की जनसंख्या करीब 2100 के आसपास है। जब हमारी टीम   ग्राम कोरियादादर पहुंची तब वहां की महिलाओं ने हमारे संवाददाता को बारी-बारी अपनी समस्याओं से अवगत कराते हुए बताया कि उनके गांव में अधिकांश लोगों के पास राशन कार्ड तो है पर परिवार के कई सदस्यों के नाम कट गये है, बहुत से ऐसे विकलांग लोग है जिन्हें शासन के द्वारा मिलने वाली पेंशन आज तक नही मिली, बिजली की स्थित यह है कि कहनें तो यहां विद्युत विभाग के खंबे आज चुके है पर इनके तार घरों तक नही पहुंचे है चूंकि घरों में पहुंचने वाली विद्युत लाइन के लिये जो व्यवस्था की जानी थी वह आज तक नही की गई।  


    मजबूरन ग्रामीणों ने अपना अलग जुगाड लगाते हुए बांस को ही खंबों का आकार देते हुए अपने-अपने घरों तक विद्युत कनेक्शन लिया है। ग्रामीणों को पेयजल की संकट से निजात दिलाने के लिये वहां बोर खनन कराया गया है परंतु उस बोर से आज तक पानी ग्रामीणों को नसीब नही हो पाया, इस गांव में सड़क ही हालत भी जर्जर हो गई है,।

    ग्राम कोरियादार की महिलाओं ने बताया कि जब किसी की  तबीयत खराब होती है तो उनके द्वारा संजीवनी 108 बुलवाया जाता है लेकिन संजीवनी के वाहन तक पहुंचने का मार्ग इस ग्राम में नही है तो मजबूरन ग्रामीण उक्त बीमार व्यक्ति को लोगों की मदद से उठाकर एंबुलेंस तक पहुंचाते है।

    ग्रामीण महिलाओं ने यह भी बताया कि इस ग्राम में एक ही तालाब है वह भी देखरेख के अभाव में अपना अस्त्वि खोते जा रहा है, मात्र तीन महीने में इस डबरीनुमा तालाब में पानी रहता है और पूरे गांव के लोग इसी तालाब के एकमात्र पचरी  में ही निस्तारी करते है लेकिन यहां पानी सूख जाने के बाद यहां के लोगों निस्तारी के लिये काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वे दूर दराज दूसरे गांव जाकर निस्तारी करते है। 

     

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