• आ गया मानसून का विदाई का वक्त , रिकार्ड पैदावार की उम्मीद

    नई दिल्ली ! इस साल मॉनसून अच्छा रहा है और देश के ज्यादातर हिस्सों में जलाशल लबालब भरे हैं।...

    आ गया मानसून का विदाई का वक्त , रिकार्ड पैदावार की उम्मीद

    नई दिल्ली !   इस साल मॉनसून अच्छा रहा है और देश के ज्यादातर हिस्सों में जलाशल लबालब भरे हैं। इससे कृषि क्षेत्र को अच्छा बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इस साल रिकार्ड 27 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान लगाया गया है, जो सरकार के साल 2016 में खरीफ और रबी फसलों के लक्ष्य से 2 फीसदी अधिक है। दक्षिण पश्चिम मानसून इसी हफ्ते विदा लेने वाला है। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक और गुजरात को छोड़कर जहां 20 फीसद कम बारिश हुई है, देश के 91 जलाशयों में अक्टूबर 2015 की तुलना में इस साल 25 फीसदी अधिक पानी है। सरकार ने खरीफ उत्पादन का 13.2 करोड़ टन का लक्ष्य रखा है, लेकिन अनुमान 13.5 करोड़ टन पैदावार का है। इससे पहले साल 2011-12 में 13.1 करोड़ टन की रिकार्ड पैदावार हुई थी। वहीं, रबी फसलों में 13.7 करोड़ टन उत्पादन का लक्ष्य पूरा हो जाने का अनुमान है। पिछली बार सबसे अधिक रबी उत्पादन 2013-14 में हुआ था। इसकी तुलना में इस साल दस लाख टन अधिक उत्पादन की उम्मीद है। साल में चार महीने रहने वाले मॉनसून से इस साल 100 सालों के औसत के हिसाब से महज 3 फीसदी कम बारिश हुई है। जून से सिंतबर के बीच भारत में सामान्य से 97 फीसदी तक बारिश हुई। हालांकि भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने सामान्य से छह फीसदी अधिक बारिश का अनुमान लगाया था। कर्नाटक और गुजरात में सबसे कम बारिश हुई है। इन दोनों राज्यों के 13 जिलों पर कम बारिश की तीखी मार पड़ी है। रिसर्च एजेंसी सीआरआईएसआईएल (क्रिसिल) की 'मॉनसून की बारीक समीक्षा' रिपोर्ट के अनुसार, "इस साल कम बारिश वाले जिलों का देश के खरीफ उत्पादन में महज 1.7 फीसदी ही हिस्सा है, लेकिन इसका किसानों की आमदनी पर कहीं गहरा असर पड़ेगा, क्योंकि कर्नाटन की एक तिहाई और गुजरात में एक चौथाई खरीफ उत्पादन वाले जिलों में कम बारिश हुई है।" उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और केरल में भी सामान्य से कम बारिश हुई है लेकिन इन इलाकों में अच्छी सिंचाई सुविधा होने के कारण किसानों पर उतना असर नहीं पड़ेगा, जितना कर्नाटक और गुजरात में होगा। खरीफ सीजन में दालों के उत्पादन 87 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है, जोकि अब तक के साल 2010-11 के रिकार्ड 71 लाख टन उत्पादन से 22 फीसदी अधिक है। वहीं, तिलहन का उत्पादन 2.34 करोड़ टन होने का अनुमान है जोकि साल 2013-14 में हुए रिकार्ड 2.26 करोड़ टन से 4 फीसदी अधिक है। देश की दो प्रमुख नकदी फसलें कपास और गन्ना इस साल कम बारिश वाले इलाकों के कारण प्रभावित होंगी। कपास की इस साल 83 फीसदी बुआई हुई है और इसका उत्पादन 11 फीसदी कम रहने का अनुमान है। गन्ने की बुआई 90 फीसदी हुई है और इसका उत्पादन 18 फीसदी कम रहने का अनुमान है। (आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। यह इंडियास्पेंड का निजी विचार है।)


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