• चीन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हों भारतीय कंपनियां

    नई दिल्ली ! केंद्रीय मंत्री अनंत गीते ने यहां गुरुवार को कहा कि चीन की चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकारी और निजी, दोनों क्षेत्रों के भारतीय विनिर्माताओं को हर हाल में गुणवत्तापूर्ण उत्पाद किफायती मूल्य पर उपलब्ध कराने होंगे। ...

    चीन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हों भारतीय कंपनियां

    नई दिल्ली !  केंद्रीय मंत्री अनंत गीते ने यहां गुरुवार को कहा कि चीन की चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकारी और निजी, दोनों क्षेत्रों के भारतीय विनिर्माताओं को हर हाल में गुणवत्तापूर्ण उत्पाद किफायती मूल्य पर उपलब्ध कराने होंगे। भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्री गीते ने गुणवत्तापूर्ण होने के बावजूद किफायती दरों पर उत्पाद मुहैया कराने के लिए स्वचालन एवं रोबोटिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया।

    गीते ने एसोचेम के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 'इंडस्ट्री 4.0 : स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग' के उद्घाटन के मौके पर यह बातें कहीं। उन्होंने कहा, "वैश्वीकरण के इस युग ने पूरी दुनिया में गलाकाट प्रतिस्पर्धा ला दी है, इसकी वजह से हमारे विनिर्माण क्षेत्र के वजूद को चुनौती मिल रही है। हमें इस वैश्विक चुनौती का सामना करने की जरूरत है, नहीं तो हो सकता है कि हम अलग-थलग पड़ जाएं।"

    उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार मानती है कि औद्योगिक क्षेत्र और अधिक नौकरी के अवसर पैदा करेगा, लेकिन आने वाली रोबोटिक प्रौद्योगिकी से बहुत सारी नौकरियां खत्म भी हो सकती हैं।

    मंत्री ने कहा कि भारत का विनिर्माण क्षेत्र हाल में विभिन्न कारणों को लेकर दबाव में है।

    गीते ने बताया कि सरकार ने किस तरह से घरेलू इस्पात उद्योग को इस्पात का न्यूनतम आयात मूल्य तय करके बचाया। ऐसा इस वजह से कि चीन तैयार माल की आपूर्ति इतने कम मूल्य पर कर रहा था, जिस पर घरेलू उद्योग कच्चा माल पाते हैं।


    उन्होंने कहा कि इसी तरह से चीन घरेलू इस्पात क्षेत्र को अस्थिर कर रहा है और कमोबेश पूरे विनिर्माण क्षेत्र की यही स्थिति है।

    गीते ने कहा, "हमें चीन के साथ प्रतिस्पर्धा में मुकाबले में सफल होना है जो पूरी दुनिया में फैल चुका है। हमें इस चुनौती को स्वीकार करने की जरूरत है।"

    केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत दुनिया भर के निवेशकों और उद्योगपतियों को आने के लिए और भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया गया है।

    उन्होंने कहा, लेकिन हमारी पहली प्राथमिकता हमारे घरेलू उद्योग को बचाने की होनी चाहिए। इनमें निजी और सरकारी दोनों उद्योग शामिल हैं। ऐसा इसलिए कि ये मेक इन इंडिया जैसे विकास के कार्यक्रमों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

अपनी राय दें