पणजी ! प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के सरगना माैलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने तथा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के मुद्दे को आज एक बार फिर पुरजोर तरीके से उठाया। प्रधानमंत्री ने यहां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने आये चीनी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक में इन मुद्दों पर भारत के पक्ष को बहुत साफगोई से रखा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक ऐसा संकट बन गया है जिस पर दोनों देशों के बीच मतभेद स्वीकार्य नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन ही नहीं बल्कि बंगलादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान सहित समीपवर्ती देश आतंकवाद से पीड़ित हैं। इस मुद्दे से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने संवाददाताओं को बताया कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की समिति 1267 में आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर साझा दृष्टिकोण अपनाने एवं एक दीर्घकालिक रोडमैप अपनाने पर बल दिया है। उन्होंने बताया कि चीनी राष्ट्रपति ने भी माना कि आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है और उससे मुकाबला करने के लिये आपसी सहयोग बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय अातंकवाद पर व्यापक संधि (सीसीआईटी) के मुद्दे पर भी जल्द निर्णय लिये जाने की जरूरत जतायी।