• शहाबुद्दीन मामले में बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

    नयी दिल्ली ! राष्ट्रीय जनता दल(राजद) के पूर्व सांसद एवं बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर याचिकाओं की सुनवाई कल भी जारी रहेगी। शीर्ष अदालत ने लंबित मामलों में शहाबुद्दीन को मिली जमानत के खिलाफ अपील न करने को लेकर बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगायी।...

    नयी दिल्ली !   राष्ट्रीय जनता दल(राजद) के पूर्व सांसद एवं बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर याचिकाओं की सुनवाई कल भी जारी रहेगी। शीर्ष अदालत ने लंबित मामलों में शहाबुद्दीन को मिली जमानत के खिलाफ अपील न करने को लेकर बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगायी। न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ के समक्ष आज मैराथन सुनवाई हुई, लेकिन अंत तक कोई निष्कर्ष नहीं आया। शीर्ष अदालत ने कल भी सुनवाई जारी रखने का फैसला किया । भोजनावकाश के पहले और बाद में दो पालियों में सुनवाई के उपरांत पीठ ने इसकी सुनवाई कल तक के लिए टाल दी। सुनवाई अब कल सुबह साढ़े 10 बजे से दोबारा शुरू होगी । याचिकाकर्ता चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू की ओर से प्रशांत भूषण ने बहस की, जबकि शहाबुद्दीन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी आज भी पैरवी नहीं कर रहे थे । श्री जेठमलानी के बजाय पूर्व सांसद की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाडे की। श्री नफाडे कल बहस जारी रखेंगे । सुनवाई के दौरान न्यायालय ने शहाबुद्दीन के खिलाफ मामले में बिहार सरकार की उदासीनता पर भी सवाल खड़े किये । न्यायालय ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जब राजद के बाहुबली नेता को विभिन्न लंबित मामलों में जमानत मिली थी, तब राज्य सरकार ने उस फैसले को चुनौती क्यों नहीं दी थी । न्यायमूर्ति घोष ने कहा कि सरकार ने पटना उच्च न्यायालय को यह क्यों नहीं बताया था कि शहाबुद्दीन के मामले में निचली अदालत में सुनवाई नहीं चल रही है । पीठ ने कहा कि अगर किसी के खिलाफ बहुत सारे मामले दर्ज हों, तो इसका मतलब यह नहीं होता कि एक मामले में जमानत मिलने के बाद आप तब तक चुनौती नहीं दें, जब तक आखिरी मामले में भी जमानत न मिल जाए । शीर्ष अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि शहाबुद्दीन को आखिरी मामले में जमानत मिलने के बाद बिहार सरकार नींद से जागी है । पीठ ने सवाल किया कि यह विचित्र स्थिति किसने पैदा की, इसका जिम्मेदार कौन है। न्यायमूर्ति घोष ने कहा, “बिहार सरकार इस मामले में गंभीर नहीं रही ।” चंदा बाबू वही बदनसीब इंसान हैं, जिनके दो बेटों की हत्या करके तेजाब में डाल दिया गया था। इसके लिए शहाबुद्दीन को जिम्मेदार ठहराया गया था। चंदा बाबू का तीसरा पुत्र इस मामले का एकमात्र चश्मदीद गवाह था, जिसकी हत्या 2014 में उस वक्त कर दी गयी थी, जब वह गवाही देने अदालत जा रहा था। इसकी हत्या के मामले में ही पिछले दिनों उच्च न्यायालय ने शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहा किया था। चंदा बाबू ने इसके खिलाफ अपील की थी । चंंदा बाबू के वकील प्रशांत भूषण ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि शहाबुद्दीन जेल से बाहर रहा तो विभिन्न मामलों के गवाह डर के मारे गवाही देने अदालत नहीं पहुंच पाएंगे। उनकी हत्या कर दी जायेगी । श्री भूषण ने शहाबुद्दीन को राज्य में आतंक का पर्याय करार देते हुए न्यायालय से उसकी जमानत निरस्त करने का अनुरोध किया ।


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